DIFFERENCE BETWEEN HIJAB AND BURQA
हिजाब और बुर्का में अंतर
हिजाब और बुर्का दोनों ही इस्लाम धर्म से जुड़ी महिलाओं की पहनावे की परंपराएँ हैं, लेकिन इनके स्वरूप, उद्देश्य और उपयोग में स्पष्ट अंतर है। अक्सर लोग इन्हें एक ही समझ लेते हैं, जबकि वास्तव में दोनों अलग-अलग प्रकार के वस्त्र हैं।
हिजाब मूल रूप से सिर ढकने का वस्त्र है। इसमें महिला अपने सिर, बाल, गर्दन और कभी-कभी कंधों को ढकती है, लेकिन चेहरा सामान्यतः खुला रहता है। हिजाब का उद्देश्य शालीनता और सादगी बनाए रखना है। इसे स्कार्फ, दुपट्टे या ओढ़नी की तरह पहना जाता है। हिजाब पहनने वाली महिलाएँ सामान्य जीवन—जैसे पढ़ाई, नौकरी और सामाजिक गतिविधियों—में आसानी से भाग ले सकती हैं। आज के समय में हिजाब अलग-अलग रंगों, डिज़ाइनों और शैलियों में भी देखने को मिलता है।
बुर्का हिजाब की तुलना में अधिक ढकने वाला वस्त्र है। इसमें महिला का पूरा शरीर ढका रहता है और कई प्रकार के बुर्कों में चेहरा भी पूरी तरह या जाली (नेट) के माध्यम से ढका होता है। बुर्का आमतौर पर ढीला और लंबा होता है, जो सिर से लेकर पैरों तक शरीर को ढकता है। इसका उद्देश्य अधिक गोपनीयता और परंपरागत धार्मिक मान्यताओं का पालन करना होता है। कुछ क्षेत्रों और संस्कृतियों में बुर्का पहनना सामाजिक परंपरा का हिस्सा भी है।
मुख्य अंतर यह है कि हिजाब में चेहरा खुला रहता है और यह केवल सिर व ऊपरी हिस्से को ढकता है, जबकि बुर्का पूरे शरीर और कई बार चेहरे को भी ढकता है। हिजाब अपेक्षाकृत सरल और व्यावहारिक माना जाता है, जबकि बुर्का अधिक पारंपरिक और पूर्ण आवरण वाला पहनावा है।
निष्कर्ष रूप में कहा जा सकता है कि हिजाब और बुर्का दोनों ही व्यक्तिगत आस्था, संस्कृति और पसंद से जुड़े हैं। इन्हें पहनना या न पहनना महिला का निजी निर्णय होना चाहिए। दोनों के बीच अंतर समझना जरूरी है ताकि भ्रम और गलत धारणाओं से बचा जा सके।
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