LONGEST NIGHT OF THE YEAR
वर्ष की सबसे लंबी रात को खगोलीय भाषा में शीत अयनांत (Winter Solstice) कहा जाता है। यह वह दिन होता है जब उत्तरी गोलार्ध में रात की अवधि सबसे अधिक और दिन की अवधि सबसे कम होती है। यह घटना हर वर्ष सामान्यतः 21 या 22 दिसंबर को होती है और इसके बाद दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं।
शीत अयनांत का मुख्य कारण पृथ्वी का अपने अक्ष पर लगभग 23.5 डिग्री झुका होना है। जब पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करते हुए ऐसे स्थान पर पहुँचती है जहाँ उत्तरी गोलार्ध सूर्य से अधिक दूर झुका होता है, तब वहाँ सूर्य की किरणें तिरछी पड़ती हैं। इसके परिणामस्वरूप सूर्य कम समय के लिए दिखाई देता है और रात अधिक लंबी हो जाती है। इसी समय दक्षिणी गोलार्ध में इसके विपरीत सबसे लंबा दिन होता है।
भारत में भी शीत अयनांत के आसपास की रात वर्ष की सबसे लंबी मानी जाती है, हालाँकि देश के विभिन्न हिस्सों में दिन और रात की अवधि में थोड़ा अंतर होता है। इस दिन के बाद सूर्य का मार्ग उत्तर की ओर बढ़ने लगता है, जिसे उत्तरायण कहा जाता है। भारतीय संस्कृति में उत्तरायण का विशेष महत्व है और इसी कारण मकर संक्रांति जैसे पर्व मनाए जाते हैं।
विज्ञान के साथ-साथ शीत अयनांत का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व भी है। प्राचीन सभ्यताओं में इसे प्रकृति के पुनर्जागरण का प्रतीक माना जाता था। कई संस्कृतियों में इस दिन विशेष उत्सव, पूजा और परंपराएँ प्रचलित रही हैं। यह माना जाता था कि सबसे लंबी रात के बाद प्रकाश की विजय शुरू होती है।
निष्कर्ष रूप में, वर्ष की सबसे लंबी रात केवल एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि यह प्रकृति के संतुलन और परिवर्तन का प्रतीक भी है। यह हमें सिखाती है कि अंधकार के बाद प्रकाश अवश्य आता है और हर कठिन समय के बाद आशा की नई किरण जन्म लेती
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