DRIP IRRIGATION
ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation)
ड्रिप सिंचाई आधुनिक कृषि की एक उन्नत और जल-संरक्षण आधारित सिंचाई पद्धति है। इसमें पानी को पाइपों और ड्रिपरों की सहायता से बूंद-बूंद करके सीधे पौधों की जड़ों तक पहुँचाया जाता है। इस विधि का मुख्य उद्देश्य पानी की बर्बादी को कम करना और फसलों को आवश्यक मात्रा में नमी उपलब्ध कराना है। भारत जैसे देश में, जहाँ जल संसाधन सीमित हैं, ड्रिप सिंचाई अत्यंत उपयोगी सिद्ध हो रही है।
ड्रिप सिंचाई प्रणाली में जल स्रोत, पंप, फिल्टर, मुख्य पाइप, सब-पाइप और ड्रिपर शामिल होते हैं। फिल्टर पानी को साफ करता है ताकि ड्रिपर बंद न हों। ड्रिपर से नियंत्रित मात्रा में पानी धीरे-धीरे मिट्टी में रिसता है, जिससे पौधों की जड़ों को लगातार नमी मिलती रहती है। इससे मिट्टी का कटाव नहीं होता और खरपतवार भी कम उगते हैं।
इस पद्धति के अनेक लाभ हैं। इससे 40–60 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। उर्वरकों को भी पानी के साथ सीधे जड़ों तक पहुँचाया जा सकता है, जिसे फर्टिगेशन कहते हैं। इससे खाद की खपत घटती है और फसल की गुणवत्ता व उत्पादन बढ़ता है। ड्रिप सिंचाई से सब्जियाँ, फल, कपास, गन्ना, बागवानी फसलें आदि विशेष रूप से लाभान्वित होती हैं।
हालाँकि ड्रिप सिंचाई की प्रारंभिक लागत अपेक्षाकृत अधिक होती है और इसके रख-रखाव के लिए तकनीकी जानकारी की आवश्यकता होती है। फिर भी सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और प्रशिक्षण के कारण किसान इसे तेजी से अपना रहे हैं। निष्कर्षतः, जल संरक्षण, अधिक उत्पादन और टिकाऊ कृषि के लिए ड्रिप सिंचाई एक प्रभावी और भविष्य-उन्मुख समाधान है।
Comments
Post a Comment