RAMESHWARAM


रामेश्वरम भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जो हिन्दू धर्म के चार धामों में से एक है। यह स्थान भौगोलिक रूप से बंगाल की खाड़ी और हिन्द महासागर के बीच स्थित पंबन द्वीप पर स्थित है। रामेश्वरम को भगवान शिव और भगवान श्रीराम दोनों से जुड़ा पवित्र स्थल माना जाता है।

धार्मिक महत्व:
रामेश्वरम का नाम 'राम' और 'ईश्वर' (शिव) से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है "राम द्वारा पूजित शिव"। रामायण के अनुसार, जब भगवान श्रीराम ने माता सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए लंका की ओर प्रस्थान किया, तो उन्होंने रामसेतु (सेतुबंध) का निर्माण यहीं से शुरू किया। लंका विजय के पश्चात श्रीराम ने ब्रह्महत्या दोष से मुक्ति के लिए भगवान शिव की पूजा की और यहाँ स्वयं शिवलिंग की स्थापना की। इस शिवलिंग को रामनाथस्वामी के नाम से जाना जाता है।

रामनाथस्वामी मंदिर:
रामेश्वरम का प्रमुख आकर्षण रामनाथस्वामी मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और विशाल मंदिरों में से एक है। इसकी विशेषता इसकी लंबी परिक्रमा (प्रदक्षिणा) मार्ग है, जो विश्व के सबसे लंबे मंदिर गलियारों में से एक है। मंदिर में दो शिवलिंग स्थित हैं – एक जिसे श्रीराम ने स्थापित किया और दूसरा जो शिव ने स्वयं प्रकट किया।

रामसेतु और समुद्र स्नान:
रामेश्वरम से श्रीलंका तक फैला हुआ रामसेतु, जिसे आदम्स ब्रिज भी कहा जाता है, यहीं से शुरू होता है। श्रद्धालु मंदिर जाने से पहले समुद्र में स्नान करते हैं और इसके बाद मंदिर के 22 तीर्थ कुंडों में स्नान कर शुद्ध होते हैं। इसे पापों से मुक्ति का प्रतीक माना जाता है।

भौगोलिक और सांस्कृतिक महत्व:
रामेश्वरम पंबन ब्रिज के माध्यम से मुख्य भूमि से जुड़ा हुआ है। यह ब्रिज भारत का पहला समुद्री पुल था। यहाँ की शांतिपूर्ण समुद्री हवा, पवित्र वातावरण और धार्मिक ऊर्जा इसे एक अद्वितीय तीर्थ बनाते हैं।

निष्कर्ष:
रामेश्वरम एक ऐसा स्थल है जहाँ धर्म, भक्ति, इतिहास और प्रकृति एक साथ मिलते हैं। यह स्थान न केवल हिन्दुओं के लिए तीर्थ है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आस्था और परंपराओं का अद्भुत प्रतीक भी है।

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