SHRAVANBELGOLA

 

श्रवणबेलगोला 

श्रवणबेलगोला भारत के कर्नाटक राज्य के हसन ज़िले में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है। यह स्थान जैन धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है। श्रवणबेलगोला का शाब्दिक अर्थ है – "श्रवण" यानी कान, "बेला" यानी दूध और "गोला" यानी तालाब। यहां एक प्रसिद्ध दूध के तालाब के कारण इस स्थान का नाम पड़ा।


ऐतिहासिक महत्व:

श्रवणबेलगोला को जैन धर्म का एक अत्यंत पवित्र तीर्थस्थल माना जाता है। यह स्थान मुख्य रूप से भगवान बाहुबली (गोमतेश्वर) की विशाल प्रतिमा के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि आचार्य भद्रबाहु और मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने अंतिम समय में यहीं आकर कठोर तपस्या की और संलेखना व्रत लेकर मोक्ष प्राप्त किया।


बाहुबली की प्रतिमा:

श्रवणबेलगोला की सबसे प्रमुख विशेषता है यहाँ स्थित भगवान बाहुबली की विशाल मूर्ति, जिसे गोमतेश्वर प्रतिमा कहा जाता है। यह प्रतिमा लगभग 57 फीट ऊँची है और एक ही विशाल ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई है। यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊँची मोनोलिथ (एकाश्म) मूर्ति मानी जाती है।

इस प्रतिमा का निर्माण 983 ई. में गंग वंश के सेनापति चामुंडराय द्वारा कराया गया था। भगवान बाहुबली ने एक वर्ष तक ध्यान में खड़े रहकर कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया था। उनकी तपस्या की मुद्रा को दर्शाती यह मूर्ति अत्यंत प्रभावशाली और शांत भाव से युक्त है।


महा-मस्तकाभिषेक:

हर 12 वर्षों में एक बार श्रवणबेलगोला में महा-मस्तकाभिषेक नामक भव्य आयोजन होता है। इस अनुष्ठान में भगवान बाहुबली की प्रतिमा को दूध, दही, चंदन, केसर, जल, पुष्प, और सुवर्ण जल से स्नान कराया जाता है। यह समारोह जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक महान आध्यात्मिक अनुभव होता है और दुनियाभर से लाखों श्रद्धालु इसमें भाग लेते हैं।


अन्य स्थल:

श्रवणबेलगोला में दो प्रमुख पहाड़ियाँ हैं –

  • विंध्यगिरी – जहाँ बाहुबली की मूर्ति स्थित है।
  • चंद्रगिरी – जहाँ भद्रबाहु स्वामी और चंद्रगुप्त मौर्य की तपस्थली स्थित है। यहां कई प्राचीन जैन मंदिर और शिलालेख भी देखे जा सकते हैं।

स्थापत्य और संस्कृति:

यहाँ के मंदिरों और मूर्तियों की वास्तुकला प्राचीन भारतीय शिल्पकला का अद्वितीय उदाहरण है। शिलालेखों में संस्कृत, प्राकृत और कन्नड़ भाषाओं में ऐतिहासिक जानकारी मिलती है। यह स्थल जैन संस्कृति, अहिंसा और शांति का संदेश देता है।


निष्कर्ष:

श्रवणबेलगोला केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक धरोहर का अद्वितीय प्रतीक है। यह स्थल आत्मचिंतन, तप और मोक्ष की राह दिखाता है और जैन धर्म की महान परंपरा को जीवंत रखता है।

श्रवणबेलगोला – बाहुबली के तप, त्याग और मोक्ष का प्रतीक।

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