ATTARI BORDER RETREAT CEREMONY
अटारी बॉर्डर रिट्रीट सेरेमनी
अटारी बॉर्डर रिट्रीट सेरेमनी भारत और पाकिस्तान के बीच पंजाब में स्थित अटारी-वाघा सीमा पर हर शाम आयोजित की जाने वाली एक भव्य और देशभक्ति से भरी सैन्य परेड है। यह आयोजन दोनों देशों के बीच एक परंपरा बन चुका है, जो न केवल सैन्य अनुशासन और समर्पण को दर्शाता है, बल्कि दोनों देशों की जनता को देशभक्ति और एकता की भावना से जोड़ता है।
इस सेरेमनी की शुरुआत 1959 में हुई थी और इसे भारत की ओर से सीमा सुरक्षा बल (BSF) और पाकिस्तान की ओर से पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा संचालित किया जाता है। यह परंपरा हर दिन सूर्यास्त से कुछ समय पहले होती है, और लगभग 30 से 45 मिनट तक चलती है।
सेरेमनी का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के राष्ट्रीय ध्वजों को सूर्यास्त से पहले सम्मानपूर्वक उतारना होता है। परंतु यह केवल एक साधारण प्रक्रिया नहीं होती। इसमें सैनिकों का ऊर्जावान मार्च, पैरों की तेज़ थाप, गगनभेदी नारों और भावनाओं से भरी क्रियाओं के माध्यम से दोनों देशों की ताकत और सम्मान को दर्शाया जाता है। सैनिक अत्यधिक अनुशासन और समन्वय के साथ एक-दूसरे के सामने मार्च करते हैं, हाथ मिलाते हैं, और झंडे को एक साथ नीचे करते हैं।
भारत की तरफ से भारी संख्या में दर्शक हर दिन इस आयोजन को देखने के लिए आते हैं। वहाँ एक छोटे से स्टेडियम जैसी दर्शक दीर्घा होती है जहाँ लोग बैठकर "भारत माता की जय", "वंदे मातरम्" और "जय हिंद" जैसे नारे लगाते हैं। सेरेमनी की शुरुआत में देशभक्ति गीत बजाए जाते हैं, जिससे माहौल उत्साहपूर्ण बन जाता है।
यह आयोजन सिर्फ एक सैन्य परेड नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक है। यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच चाहे जितने भी राजनीतिक मतभेद हों, फिर भी परंपरा, अनुशासन और सम्मान के आधार पर सीमाएँ भी सौहार्दपूर्ण बन सकती हैं।
निष्कर्षतः, अटारी बॉर्डर की रिट्रीट सेरेमनी एक ऐसा आयोजन है जो हर भारतीय को गर्व का अनुभव कराता है। यह न केवल भारत की सैन्य शक्ति को दर्शाता है, बल्कि एकता और राष्ट्रीय भावना को भी जीवित रखता है। यहाँ जाकर यह अनुभव करना हर भारतीय के लिए एक प्रेरणादायक क्षण होता है।
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