ATTARI BORDER

 

अटारी बॉर्डर (Attari Border) 

अटारी बॉर्डर, जिसे आमतौर पर वाघा-अटारी सीमा के नाम से जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच स्थित एक प्रसिद्ध सीमा स्थल है। यह पंजाब राज्य के अमृतसर जिले में स्थित है और यह भारत का अंतिम गाँव है, जो पाकिस्तान के लाहौर से लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। भारत की ओर इस स्थान को "अटारी" और पाकिस्तान की ओर इसे "वाघा" कहा जाता है।

अटारी बॉर्डर का सबसे प्रमुख आकर्षण यहाँ हर शाम होने वाली “बॉर्डर रिट्रीट सेरेमनी” है, जिसे देखने के लिए भारत और विदेशों से बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। यह सेरेमनी भारत के बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) और पाकिस्तान के रेंजर्स द्वारा एक विशेष आयोजन के रूप में की जाती है। इस समारोह में दोनों देशों के जवान एक विशेष शैली में मार्च करते हैं, गेट खोलते और बंद करते हैं, और राष्ट्रीय ध्वज को पूरे सम्मान के साथ उतारा जाता है।

इस आयोजन की सबसे खास बात इसकी देशभक्ति से भरी हुई ऊर्जा होती है। भारत की तरफ दर्शकों के बैठने के लिए स्टेडियम जैसी व्यवस्था होती है जहाँ लोग तिरंगा लहराते हुए भारत माता की जय और वंदे मातरम् के नारे लगाते हैं। यह समारोह दोनों देशों के बीच प्रतिदिन शांति के प्रतीक के रूप में किया जाता है, भले ही राजनीतिक संबंध तनावपूर्ण क्यों न हों।

अटारी बॉर्डर का ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व भी बहुत अधिक है। यह स्थान भारत-पाक विभाजन (1947) के समय का साक्षी रहा है और आज भी यह दोनों देशों के बीच व्यापार, यात्रियों और संचार का एक सीमित परंतु अहम मार्ग है। अटारी बॉर्डर के ज़रिये समझौता एक्सप्रेस नामक ट्रेन भी चलती थी, जो भारत-पाक के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क थी, हालांकि सुरक्षा कारणों से यह कई बार बंद भी रही है।

निष्कर्षतः, अटारी बॉर्डर केवल एक भौगोलिक सीमा नहीं, बल्कि यह भारतीय जनमानस की देशभक्ति, वीरता और शांति की भावना का प्रतीक बन चुका है। यहाँ की रिट्रीट सेरेमनी न केवल पर्यटकों को रोमांचित करती है, बल्कि यह यह संदेश भी देती है कि भले ही सीमाएँ खिंच जाएँ, संवाद और सम्मान की परंपरा बनी रहनी चाहिए।


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