MOST FAMOUS GURU DWARAS
सिख धर्म के प्रमुख गुरुद्वारे (महत्वपूर्ण गुरुद्वारे)
सिख धर्म में गुरुद्वारा वह स्थान होता है जहाँ सिख संगत (समाज) एकत्र होकर गुरु ग्रंथ साहिब की वाणी का पाठ करती है, कीर्तन सुनती है, लंगर (निःशुल्क भोजन) करती है और सेवा करती है। ये स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं, बल्कि सामाजिक एकता, सेवा और समानता के प्रतीक भी हैं।
नीचे सिख धर्म के कुछ महत्वपूर्ण गुरुद्वारों की जानकारी दी गई है:
1. श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर
- स्थान: अमृतसर, पंजाब
- महत्व: यह सिख धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है। इसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है क्योंकि इसका ऊपरी हिस्सा सोने से मढ़ा हुआ है।
- विशेषता: गुरु अर्जुन देव जी द्वारा स्थापित, यह स्थान सभी धर्मों के लोगों के लिए खुला है।
2. श्री अकाल तख्त साहिब, अमृतसर
- स्थान: हरमंदिर साहिब परिसर में ही स्थित।
- महत्व: यह सिखों की धर्मिक और राजनीतिक सत्ता का केंद्र है।
- स्थापना: गुरु हरगोबिंद साहिब जी ने 1606 में की थी।
3. गुरुद्वारा बंगला साहिब, दिल्ली
- स्थान: कनॉट प्लेस, नई दिल्ली
- महत्व: गुरु हरकृष्ण साहिब जी की स्मृति में बना है, जिन्होंने दिल्ली में प्लेग से पीड़ित लोगों की सेवा की थी।
- विशेषता: यहाँ की सरोवर (जलकुंड) को पवित्र माना जाता है।
4. गुरुद्वारा शीशगंज साहिब, दिल्ली
- स्थान: चाँदनी चौक, पुरानी दिल्ली
- महत्व: यहाँ गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान हुआ था, जब उन्होंने हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए शहादत दी।
5. गुरुद्वारा पटना साहिब (तख्त श्री हरिमंदिर जी), बिहार
- स्थान: पटना, बिहार
- महत्व: यह गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्मस्थान है।
- स्थापना: महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं शताब्दी में इसे बनवाया।
6. गुरुद्वारा हजूर साहिब, नांदेड़
- स्थान: महाराष्ट्र
- महत्व: यह स्थान गुरु गोबिंद सिंह जी के अंतिम समय से जुड़ा है।
- यहाँ पर उन्होंने "गुरु ग्रंथ साहिब" को अंतिम और शाश्वत गुरु घोषित किया।
7. गुरुद्वारा दमदमा साहिब, बठिंडा (पंजाब)
- महत्व: यहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी ने "ज़फ़रनामा" लिखा था और कई दिन विश्राम किया।
- तख़्तों में से एक है – सिख धर्म के पाँच प्रमुख तख्तों में से।
8. गुरुद्वारा आनंदपुर साहिब, पंजाब
- स्थान: रोपड़ जिला, पंजाब
- महत्व: यहीं पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की थी।
9. गुरुद्वारा करतारपुर साहिब, पाकिस्तान
- स्थान: पाकिस्तान के नारोवाल ज़िले में
- महत्व: यहीं पर गुरु नानक देव जी ने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए।
- आज यह भारत-पाकिस्तान कॉरिडोर के माध्यम से श्रद्धालुओं के लिए खुला है।
निष्कर्ष:
इन गुरुद्वारों का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि ऐतिहासिक, सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। ये सभी गुरुद्वारे सिख धर्म की मूल भावना – सेवा, भक्ति, समानता और भाईचारे – को जीवन में उतारने का सन्देश देते हैं।
अगर आप इनमें से किसी एक गुरुद्वारे पर विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो बताइए, मैं विस्तार से बता सकता हूँ।
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