DASAM GRANTH



दसम ग्रंथ

दसम ग्रंथ सिख धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक ग्रंथ है, जिसे "दसम पातशाही का ग्रंथ" भी कहा जाता है। यह ग्रंथ मुख्य रूप से सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी की रचनाओं का संग्रह है। "दसम" का अर्थ है "दसवां", जो गुरु गोबिंद सिंह जी की उपाधि की ओर संकेत करता है। यह ग्रंथ सिख साहित्य, इतिहास, दर्शन, और वीरता की भावना को समर्पित एक विलक्षण रचना है।

रचना और इतिहास

दसम ग्रंथ की रचनाएं 17वीं शताब्दी के अंत और 18वीं शताब्दी की शुरुआत में गुरु गोबिंद सिंह जी द्वारा की गईं। यह ग्रंथ मूलतः अखंड (जुड़ी हुई) पांडुलिपियों के रूप में मिला, जिसे बाद में विद्वानों और सिख संस्थानों ने संपादित कर प्रकाशित किया। हालांकि इसकी कुछ रचनाओं को लेकर समय-समय पर विवाद रहा है, फिर भी सिख समाज का एक बड़ा वर्ग इसे गुरु गोबिंद सिंह जी की अमूल्य देन मानता है।

भाषा और लिपि

दसम ग्रंथ की रचनाएं मुख्य रूप से ब्रज भाषा, अवधी, अरबी, फारसी, और संस्कृत में हैं तथा इसे गुरमुखी लिपि में लिखा गया है। इसकी भाषा में ओज, वीर रस और काव्यात्मक सौंदर्य का अद्भुत मेल देखने को मिलता है।

मुख्य रचनाएँ

दसम ग्रंथ में कई प्रसिद्ध और प्रभावशाली रचनाएँ शामिल हैं, जैसे:

  1. जाप साहिब – यह एक स्तुति है जो परमात्मा के गुणों का वर्णन करती है। इसका पाठ सिखों की नित नेम (दैनिक प्रार्थना) में शामिल है।

  2. अकाल उसतत – ईश्वर की महानता का वर्णन करने वाली यह रचना अत्यंत प्रभावशाली और भावनात्मक है।

  3. चौपाई साहिब – यह रचना रक्षा और शक्ति की प्रार्थना है, जो सिखों के लिए बहुत ही प्रिय पाठ है।

  4. बचर नाटक – गुरु गोबिंद सिंह जी की आत्मकथा, जिसमें उनके जीवन, संघर्ष और उद्देश्य का वर्णन है।

  5. चरित्रोपाख्यान – इसमें नैतिक शिक्षा, बुराई के प्रति चेतावनी और वीरता की प्रेरणा देने वाली कहानियाँ हैं। यह खंड सबसे अधिक विवादित रहा है, परंतु इसमें वर्णित चरित्र-कथाएँ सांकेतिक रूप से नैतिकता और अधर्म के संघर्ष को दर्शाती हैं।

महत्व और उद्देश्य

दसम ग्रंथ का प्रमुख उद्देश्य है – समाज में धर्म, न्याय, और वीरता की भावना को जागृत करना। गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस ग्रंथ के माध्यम से समाज को अन्याय, अत्याचार और अज्ञानता के विरुद्ध लड़ने की प्रेरणा दी। इस ग्रंथ ने संत-सिपाही की अवधारणा को जन्म दिया, जिसमें भक्तिभाव और युद्धकला का अद्भुत संतुलन है।

निष्कर्ष

दसम ग्रंथ सिख धर्म, संस्कृति और इतिहास की एक अद्वितीय धरोहर है। यह केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि नैतिकता, साहस और आत्मबल का प्रतीक है। यद्यपि इसकी कुछ रचनाओं को लेकर विचारों में मतभेद हो सकते हैं, परंतु इसमें समाहित शिक्षाएं आज भी मानव समाज को सत्य, साहस और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती हैं।



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