SOCIAL MOVEMENTS OF DR BHIM RAO AMBEDKAR

 

डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपने जीवन को सामाजिक न्याय, समानता और मानवाधिकारों की स्थापना के लिए समर्पित किया। उन्होंने समाज में फैली जातिवाद, अस्पृश्यता और भेदभाव के खिलाफ कई महत्वपूर्ण सामाजिक आंदोलनों (Social Movements) का नेतृत्व किया। ये आंदोलन भारत के सामाजिक परिवर्तन में मील का पत्थर साबित हुए।

यहाँ डॉ. अंबेडकर द्वारा शुरू किए गए प्रमुख सामाजिक आंदोलनों का विवरण दिया गया है:


1. चवदार तालाब सत्याग्रह (1927)

  • स्थान: महाड़, महाराष्ट्र
  • उद्देश्य: अछूतों (दलितों) को सार्वजनिक जलस्रोतों तक पहुंच दिलाना।
  • विवरण: अंबेडकर ने इस आंदोलन के माध्यम से दलितों के लिए पानी के सार्वजनिक अधिकार की माँग की। उन्होंने खुद चवदार तालाब का पानी पीकर सामाजिक समानता का संदेश दिया। यह भारतीय समाज में एक बड़ा क्रांतिकारी कदम था।

2. Manusmriti Dahan (मनुस्मृति दहन) आंदोलन (1927)

  • स्थान: महाड़
  • उद्देश्य: मनुवादी विचारधारा का विरोध और समानता का समर्थन।
  • विवरण: डॉ. अंबेडकर और उनके अनुयायियों ने मनुस्मृति को सार्वजनिक रूप से जलाया क्योंकि यह ग्रंथ दलितों और महिलाओं के प्रति भेदभाव को बढ़ावा देता था।

3. मंदिर प्रवेश आंदोलन (कालाराम मंदिर सत्याग्रह) (1930)

  • स्थान: नासिक, महाराष्ट्र
  • उद्देश्य: दलितों को मंदिरों में प्रवेश दिलाना।
  • विवरण: कालाराम मंदिर में दलितों के प्रवेश पर रोक थी। अंबेडकर ने इसके खिलाफ लंबा आंदोलन चलाया, जो जातिवादी धार्मिक व्यवस्था को चुनौती देने का साहसिक कदम था।

4. अछूतों के लिए पृथक निर्वाचिका की माँग (Poona Pact – 1932)

  • उद्देश्य: दलितों को राजनीतिक अधिकार दिलाना।
  • विवरण: अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार से दलितों के लिए पृथक निर्वाचिका (Separate Electorate) की माँग की, जिससे वे स्वतंत्र रूप से अपने प्रतिनिधि चुन सकें। गांधी जी के विरोध के बाद पूना समझौता हुआ, जिसमें दलितों को आरक्षण तो मिला, लेकिन पृथक निर्वाचिका नहीं।

5. जाति तोड़ो आंदोलन (Annihilation of Caste – 1936)

  • विवरण: यह आंदोलन और पुस्तक एक साथ ही चलाए गए। इसमें अंबेडकर ने जाति व्यवस्था की जड़ों पर हमला किया और इसे भारतीय समाज के विकास में सबसे बड़ी बाधा बताया। उन्होंने जाति व्यवस्था के पूर्ण विनाश का आह्वान किया।

6. शिक्षा आंदोलन

  • उद्देश्य: दलितों और वंचितों को शिक्षा के माध्यम से सशक्त बनाना।
  • विवरण: अंबेडकर का मानना था कि “शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो।” उन्होंने शिक्षा को सामाजिक मुक्ति का सबसे प्रभावी हथियार माना और अनेक स्कूल-कॉलेज स्थापित किए।

7. श्रमिक आंदोलन

  • विवरण: अंबेडकर ने मजदूरों के अधिकारों के लिए भी आवाज़ उठाई। उन्होंने "काम के 8 घंटे" की माँग की, न्यूनतम वेतन, महिलाओं के श्रम अधिकार आदि के लिए कानून बनाए।

8. बौद्ध धर्म आंदोलन (धम्म दीक्षा आंदोलन – 1956)

  • स्थान: दीक्षाभूमि, नागपुर
  • विवरण: डॉ. अंबेडकर ने जातिवादी हिन्दू व्यवस्था को त्यागकर बौद्ध धर्म अपनाया और लाखों अनुयायियों को भी बौद्ध बनाया। उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म समानता, ज्ञान और करुणा पर आधारित है।

निष्कर्ष:

डॉ. अंबेडकर के सामाजिक आंदोलनों ने भारत में सामाजिक क्रांति की नींव रखी। उन्होंने न केवल दलितों को सामाजिक सम्मान दिलाया, बल्कि समूचे भारतीय समाज को न्याय, समानता और स्वतंत्रता के मूल्यों से परिचित कराया। उनके आंदोलन आज भी प्रेरणा स्रोत हैं।

अगर आप इनमें से किसी आंदोलन पर विस्तृत जानकारी या निबंध चाहते हैं, तो मैं वह भी उपलब्ध करा सकता हूँ।

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