PERMANENT INDUS COMMISSION

 

स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) 

स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission - PIC) भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि, 1960 के तहत गठित एक द्विपक्षीय संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य सिंधु नदी प्रणाली के जल बंटवारे को लेकर पारस्परिक सहयोग, संवाद और विवादों के समाधान को सुनिश्चित करना है। यह आयोग भारत और पाकिस्तान दोनों के लिए संधि के क्रियान्वयन की निगरानी करता है।

इस आयोग का गठन सिंधु जल संधि के अनुच्छेद VIII के अंतर्गत हुआ था। आयोग में भारत और पाकिस्तान से एक-एक आयुक्त होते हैं। दोनों आयुक्तों का कार्यकाल लम्बे समय का होता है और वे अपने-अपने देश की सरकारों द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। ये आयुक्त जल संबंधी मामलों के विशेषज्ञ होते हैं और तकनीकी व कानूनी दोनों पहलुओं में पारंगत होते हैं।

स्थायी सिंधु आयोग का मुख्य कार्य साल में कम से कम एक बार बैठक आयोजित करना है, जो भारत और पाकिस्तान में बारी-बारी से होती है। इन बैठकों में दोनों देशों द्वारा नदियों पर किए जा रहे निर्माण कार्यों, जल उपयोग और तकनीकी जानकारियों का आदान-प्रदान होता है। इसके अलावा आयोग नदियों के जल प्रवाह, वर्षा, बाढ़, और जल परियोजनाओं से जुड़ी जानकारियों का रिकॉर्ड भी साझा करता है।

यदि किसी परियोजना को लेकर कोई विवाद उत्पन्न होता है, तो सबसे पहले उसे स्थायी सिंधु आयोग के स्तर पर सुलझाने का प्रयास किया जाता है। यदि आयोग के माध्यम से समाधान नहीं निकलता, तो मामला तटस्थ विशेषज्ञ या अंततः अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण (Court of Arbitration) के पास भेजा जा सकता है।

अब तक यह आयोग भारत और पाकिस्तान के बीच जल विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने में एक अहम भूमिका निभाता आया है। इस आयोग की वजह से दोनों देशों के बीच संवाद का एक मंच बना रहता है, भले ही अन्य राजनीतिक संबंध तनावपूर्ण क्यों न हों।

निष्कर्ष: स्थायी सिंधु आयोग भारत और पाकिस्तान के बीच जल प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है, जिसने अब तक कई बार गंभीर जल विवादों को बातचीत और तकनीकी विश्लेषण के ज़रिये हल किया है। यह आयोग दोनों देशों के बीच विश्वास बनाए रखने और संधि के उचित पालन में सहायक रहा है।


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