GURU GRANTH SAHIB



गुरु ग्रंथ साहिब

गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का प्रमुख और सर्वोच्च पवित्र ग्रंथ है। इसे "आदि ग्रंथ" भी कहा जाता है और यह सिखों का आध्यात्मिक मार्गदर्शक है। सिख धर्म के अनुयायी इसे "जीवित गुरु" के रूप में मानते हैं। इसका संदेश सार्वभौमिक, मानवतावादी और ईश्वर-परक है। इसमें जीवन के सभी पहलुओं पर मार्गदर्शन मिलता है — भक्ति, सेवा, सत्य, प्रेम, और समानता।

इतिहास और रचना

गुरु ग्रंथ साहिब का संकलन सिखों के पाँचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव जी ने 1604 ईस्वी में किया था। उन्होंने पहले चार गुरुओं की वाणियों को इकट्ठा कर अपनी वाणियों के साथ मिलाकर एक ग्रंथ तैयार किया, जिसे "आदि ग्रंथ" कहा गया। इसके अतिरिक्त उन्होंने संत कबीर, नामदेव, रैदास, भक्ति आंदोलन के अन्य संतों और मुस्लिम फकीरों की भी वाणियाँ इस ग्रंथ में शामिल कीं।

बाद में गुरु गोबिंद सिंह जी, जो सिखों के दसवें गुरु थे, उन्होंने इस ग्रंथ में गुरु तेग बहादुर जी की वाणी को भी जोड़ा और 1708 में इसे "गुरु" का दर्जा दिया। तभी से सिखों का अंतिम और शाश्वत गुरु यही ग्रंथ है।

संरचना और भाषा

गुरु ग्रंथ साहिब में कुल 1430 पृष्ठ (अंग) हैं। इसमें 31 रागों के अनुसार रचनाएँ व्यवस्थित की गई हैं, जो गुरबाणी को संगीतबद्ध रूप में गाने की परंपरा को दर्शाता है।
यह ग्रंथ गुरमुखी लिपि में लिखा गया है, और इसकी भाषा पंजाबी, ब्रज, फारसी, खड़ी बोली और संस्कृत के मिश्रण से बनी है, जिससे यह कई भाषाई समूहों को समझने योग्य है।

मुख्य शिक्षाएँ

गुरु ग्रंथ साहिब की मुख्य शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:

  • एक ईश्वर की उपासना: इसमें ईश्वर को एक, निराकार, सर्वव्यापी और दयालु बताया गया है।
  • समानता: जाति, धर्म, वर्ग और लिंग के भेदभाव को खारिज किया गया है।
  • सेवा और नम्रता: सेवा, विनम्रता, और दूसरों की भलाई को धर्म का हिस्सा माना गया है।
  • सत्संग और कीर्तन: सत्संग (सच्ची संगति) और गुरबाणी का कीर्तन आत्मा को शुद्ध करने का साधन है।

गुरु ग्रंथ साहिब का महत्व

गुरु ग्रंथ साहिब सिखों के लिए सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक जीता-जागता गुरु है। सिख अपने हर धार्मिक कार्य में इसका पठन-पाठन करते हैं। गुरुद्वारे में यह ऊँचे स्थान पर सुशोभित रहता है और इसके सामने श्रद्धालु सिर झुकाते हैं।

निष्कर्ष

गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का दिल और आत्मा है। यह आध्यात्मिक ज्ञान का महासागर है जो केवल सिखों के लिए ही नहीं, बल्कि समस्त मानवता के लिए पथप्रदर्शक है। इसकी शिक्षाएँ आज भी मानव जीवन को शांति, प्रेम और सेवा की ओर अग्रसर करती हैं।

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