PALITANA JAIN TEMPLE
पालिताना जैन मंदिर, भारत के गुजरात राज्य के भावनगर जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध जैन तीर्थस्थल है। यह स्थान शत्रुंजय पर्वत पर स्थित है, और जैन धर्म के अनुसार इसे मोक्ष की भूमि माना जाता है। यह तीर्थ दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों के लिए समान रूप से पवित्र है, लेकिन मुख्य रूप से श्वेतांबर जैनों द्वारा इसका अधिक प्रचार-प्रसार हुआ है।
शत्रुंजय पर्वत पर स्थित पालिताना में लगभग 865 से अधिक संगमरमर के मंदिर हैं, जो बेहद कलात्मक, भव्य और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर हैं। यह मंदिर जैन वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण माने जाते हैं। इन मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक विभिन्न कालों में किया गया। इन मंदिरों का सबसे मुख्य मंदिर प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव (आदिनाथ) को समर्पित है। यह मंदिर ऊँचाई पर स्थित है और वहाँ तक पहुँचने के लिए लगभग 3,800 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।
जैन मान्यता के अनुसार, भगवान ऋषभदेव ने यहीं पर तपस्या की थी, और उनके अनेक अनुयायियों ने भी इस पर्वत पर तप कर मोक्ष प्राप्त किया। इसलिए इसे "शत्रुंजय" नाम दिया गया, जिसका अर्थ होता है – "शत्रु पर विजय पाने वाला"।
यह तीर्थ विशेष रूप से "चैत्र पूर्णिमा" और "कार्तिक पूर्णिमा" के अवसर पर अत्यधिक भीड़ आकर्षित करता है। उस समय हजारों जैन श्रद्धालु यहाँ पैदल यात्रा कर दर्शन हेतु पहुँचते हैं। श्रद्धालु इसे “मुक्तिक्षेत्र” मानते हैं, और ऐसी मान्यता है कि हर जैन अनुयायी को जीवन में एक बार इस तीर्थ की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
पालिताना को दुनिया का पहला ऐसा शहर भी कहा जाता है, जहाँ मांस और मांसाहार पूरी तरह से प्रतिबंधित है। 2014 में पालिताना नगर पालिका ने इसे आधिकारिक रूप से ‘शाकाहारी शहर’ घोषित किया था, जो जैन धर्म की अहिंसा की भावना को दर्शाता है।
मंदिर परिसर में संगमरमर की नक्काशी, गुंबद, स्तंभ और झरोखे बेहद सुंदर और बारीक तरीके से बनाए गए हैं। कई मंदिरों के शिखर स्वर्ण कलश से सुशोभित हैं। पर्वत की चोटी से चारों ओर का दृश्य अत्यंत मनोहारी और शांतिपूर्ण होता है।
यहाँ तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाएँ, भोजनशालाएँ (आहारशाला), तथा ठहरने की अन्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं। पर्यटक भावनगर से या सीधे पालिताना रेलवे स्टेशन से यहाँ पहुँच सकते हैं।
निष्कर्षतः, पालिताना न केवल एक तीर्थ स्थल है, बल्कि यह एक जीवंत प्रतीक है जैन धर्म की आध्यात्मिकता, शुद्धता और अहिंसा के सिद्धांतों का। जो भी यहाँ आता है, वह एक अलौकिक और शांतिपूर्ण अनुभव लेकर लौटता है। यह स्थल आत्मचिंतन और मोक्ष के मार्ग का दर्शन कराता है, और हर जैन के लिए यह तीर्थ यात्रा जीवन की सबसे महत्वपूर्ण यात्रा मानी जाती है।
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