BABANGAJ TEMPLE
बावनगजा मंदिर
बावनगजा मंदिर मध्य प्रदेश के बड़वानी जिले में स्थित एक प्रसिद्ध जैन तीर्थ स्थल है। यह स्थान विशेष रूप से भगवान आदिनाथ (प्रथम तीर्थंकर) की विशाल प्रतिमा के लिए जाना जाता है, जो पहाड़ को काटकर बनाई गई है। यह प्रतिमा लगभग 84 फीट ऊँची है और यह खड़ी मुद्रा (खड़गासन) में बनी हुई है। यह प्रतिमा भारत की सबसे ऊँची शिलाखंड से निर्मित जैन प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है।
बावनगजा नर्मदा नदी के तट पर स्थित है, जो इसे एक अत्यंत शांत और आध्यात्मिक वातावरण प्रदान करता है। इस स्थान का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है क्योंकि इसे जैन धर्म के तपस्वियों और साधकों की साधना भूमि माना जाता है। यहाँ कई गुफाएं, मंदिर और धर्मशालाएं बनी हुई हैं, जहाँ साधु-संत ध्यान और तपस्या करते हैं।
बावनगजा नाम का अर्थ है "बावन (52) गजा," जिसमें ‘गज’ माप की एक प्राचीन इकाई है। यह नाम यहाँ की प्रतिमा की ऊँचाई के कारण पड़ा। यह प्रतिमा लाल बलुआ पत्थर से बनी हुई है और इसकी अभिव्यक्ति तथा शिल्पकला अत्यंत प्रभावशाली है। मंदिर परिसर में अन्य तीर्थंकरों की भी मूर्तियाँ और मंदिर हैं, जो श्रद्धालुओं को विविध रूपों में दर्शन का लाभ देते हैं।
हर वर्ष हजारों श्रद्धालु और पर्यटक बावनगजा मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं, विशेष रूप से महावीर जयंती और पर्युषण पर्व जैसे अवसरों पर। इन पर्वों पर विशेष पूजन, प्रवचन, भक्ति संगीत और शोभायात्राएं आयोजित की जाती हैं। यहाँ का वातावरण भक्तिमय और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण रहता है।
बावनगजा मंदिर क्षेत्र में धर्मशालाएं और जैन भोजनालय भी हैं, जहाँ सात्विक और शुद्ध भोजन की व्यवस्था होती है। इसके अलावा, यहाँ जैन धर्म की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार भी किया जाता है।
संक्षेप में, बावनगजा मंदिर एक ऐसा स्थल है जहाँ धर्म, कला, आस्था और प्रकृति का सुंदर संगम देखने को मिलता है। यह मंदिर न केवल जैन धर्मावलंबियों के लिए, बल्कि हर अध्यात्म प्रेमी के लिए प्रेरणा, शांति और आत्मचिंतन का केंद्र है।
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