FOOD CULTURE OF SIKHISM
सिख धर्म की भोजन संस्कृति
सिख धर्म न केवल एक आध्यात्मिक मार्ग है, बल्कि यह समाज में समानता, सेवा और करुणा का संदेश भी देता है। इसी भावना का प्रतिबिंब उसकी भोजन संस्कृति में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। सिख धर्म की भोजन संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है – लंगर, जो नि:स्वार्थ सेवा और समानता का प्रतीक है।
लंगर की परंपरा
लंगर की परंपरा की शुरुआत गुरु नानक देव जी ने की थी। उन्होंने यह संदेश दिया कि ईश्वर की नजर में सभी मनुष्य समान हैं। इसलिए भोजन करते समय कोई ऊंच-नीच, जात-पात या अमीर-गरीब का भेदभाव नहीं होना चाहिए। लंगर में सभी लोग एक पंक्ति में बैठकर एक ही प्रकार का भोजन करते हैं। यह सामूहिक भोजन गुरुद्वारे में पूरी श्रद्धा और सेवा-भाव से तैयार किया जाता है और सभी को नि:शुल्क परोसा जाता है।
भोजन की प्रकृति
सिख धर्म में भोजन को शुद्ध और सात्विक माना जाता है। गुरुद्वारे में जो भोजन परोसा जाता है वह शुद्ध रूप से शाकाहारी होता है। इसमें दाल, रोटी, सब्ज़ी, चावल, अचार और कभी-कभी मिठाई शामिल होती है। यह भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि पौष्टिक भी होता है। साथ ही इसे प्रेम और सेवा की भावना से तैयार किया जाता है, जिससे इसका आध्यात्मिक महत्व और बढ़ जाता है।
सेवा और कर सेवा
सिख भोजन संस्कृति में "सेवा" एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। गुरुद्वारे में लंगर बनाने और परोसने का कार्य श्रद्धालु स्वयं करते हैं, जिसे कर सेवा कहा जाता है। इसमें कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग – सभी इस सेवा में भाग लेते हैं। यह सामूहिक सहयोग और समर्पण की भावना को बढ़ावा देता है।
त्योहारों और विशेष अवसरों पर भोजन
सिख धर्म के त्योहारों जैसे गुरु पर्व, बैसाखी, माघी आदि पर विशेष लंगर का आयोजन किया जाता है। इन अवसरों पर कड़ा प्रसाद भी वितरित किया जाता है, जो गेहूं के आटे, घी और गुड़ से बना होता है। इसे बहुत ही श्रद्धा से बनाया और बांटा जाता है।
घरेलू भोजन
सिख परिवारों के घरों में भी भोजन सादा, पौष्टिक और स्वादिष्ट होता है। आमतौर पर दाल, सब्ज़ी, रोटी, चावल, दही और सलाद खाया जाता है। पंजाब के प्रभाव के कारण सरसों का साग, मक्के की रोटी, लस्सी आदि भी सिख भोजन में विशेष स्थान रखते हैं।
निष्कर्ष
सिख धर्म की भोजन संस्कृति केवल शरीर का पोषण नहीं करती, बल्कि आत्मा को भी तृप्त करती है। यह सेवा, समानता, और भाईचारे की मिसाल है। लंगर की परंपरा पूरी दुनिया में सिख धर्म की उदारता और मानवता के प्रति समर्पण का प्रतीक बन चुकी है।
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