LATERAN TREATY
लेट्रन संधि
लेट्रन संधि एक ऐतिहासिक समझौता था जो 11 फरवरी 1929 को इटली सरकार और रोमन कैथोलिक चर्च के बीच संपन्न हुआ। इस संधि पर इटली के प्रधानमंत्री बेनिटो मुसोलिनी और पोप पायस ग्यारहवें (Pope Pius XI) के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए थे। लेट्रन संधि ने वेटिकन सिटी को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्थापित किया, और इटली तथा चर्च के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवादों को समाप्त कर दिया।
इस संधि से पहले, 1870 में इटली के एकीकरण के समय पोप ने अपने अधिकार क्षेत्र को खो दिया था और वेटिकन में कैद होकर रह गए थे। इस स्थिति को "रोमन प्रश्न" (Roman Question) कहा जाता था। लेट्रन संधि ने इस समस्या का समाधान प्रस्तुत किया। संधि के अनुसार वेटिकन सिटी को पूर्ण स्वतंत्रता मिली और पोप को एक सार्वभौमिक शासक के रूप में मान्यता दी गई। इसके बदले में, पोप ने इटली की सरकार को स्वीकार किया और रोम को इटली की राजधानी मान लिया।
लेट्रन संधि के मुख्य घटक तीन थे:
- एक राजनीतिक संधि, जिसने वेटिकन सिटी को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
- एक वित्तीय समझौता, जिसके तहत इटली सरकार ने चर्च को मुआवजा दिया।
- एक धार्मिक समझौता, जिसने इटली में कैथोलिक धर्म को एक "राजकीय धर्म" के रूप में मान्यता दी।
लेट्रन संधि का प्रभाव आज भी देखा जा सकता है, क्योंकि वेटिकन सिटी एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में कार्य कर रहा है और विश्वभर के कैथोलिक ईसाइयों के लिए यह धार्मिक नेतृत्व का केंद्र बना हुआ है।
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