POLITICAL ACTIVITIES OF DR BHIM RAO AMBEDKAR

 

डॉ. भीमराव अंबेडकर की राजनीतिक गतिविधियाँ (Political Activities in Hindi)

डॉ. भीमराव अंबेडकर न केवल एक महान समाज सुधारक और शिक्षाविद् थे, बल्कि वे एक प्रभावशाली राजनीतिक विचारक, नेता और संविधान निर्माता भी थे। उन्होंने भारतीय राजनीति को सामाजिक न्याय और समानता की दृष्टि से देखने का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी राजनीतिक गतिविधियाँ दलितों, पिछड़ों और वंचितों के अधिकारों की रक्षा और उन्हें राजनीतिक शक्ति दिलाने के लिए केंद्रित थीं।

नीचे डॉ. अंबेडकर की प्रमुख राजनीतिक गतिविधियों का वर्णन किया गया है:


1. डिप्रेस्ड क्लास मिशन और प्रतिनिधित्व की माँग (1919–1930)

  • 1919 में, अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार के सामने दलितों के लिए राजनीतिक प्रतिनिधित्व की माँग की। उन्होंने सुझाव दिया कि जब तक दलितों को राजनीतिक शक्ति नहीं मिलेगी, तब तक उनका उद्धार संभव नहीं है।
  • उन्होंने साइमन कमीशन (1928) के सामने भी दलितों के हितों की पैरवी की।

2. राउंड टेबल सम्मेलन (1930–1932)

  • डॉ. अंबेडकर ने तीनों राउंड टेबल सम्मेलनों (लंदन) में भाग लिया और अछूतों के लिए पृथक निर्वाचिका (Separate Electorate) की माँग की।
  • उन्होंने दलितों को स्वतंत्र राजनीतिक पहचान दिलाने का प्रयास किया।
  • इसी मुद्दे पर गांधी जी और अंबेडकर के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद पूना समझौता (1932) हुआ।

3. पूना समझौता (Poona Pact – 1932)

  • यह समझौता महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर के बीच हुआ।
  • इसमें पृथक निर्वाचिका की जगह आरक्षित सीटों के माध्यम से संयुक्त निर्वाचिका की व्यवस्था तय की गई।
  • दलितों को विधानसभा में प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया, जो बाद में आरक्षण की नींव बना।

4. स्वतंत्र लेबर पार्टी (Independent Labour Party – 1936)

  • अंबेडकर ने 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना की।
  • इस पार्टी ने मजदूरों, किसानों, दलितों और वंचितों के अधिकारों की आवाज उठाई।
  • 1937 के बॉम्बे प्रांतीय विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 15 सीटें जीतीं।
  • यह उनकी पहली बड़ी राजनीतिक सफलता थी।

5. शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन (Scheduled Castes Federation – 1942)

  • स्वतंत्र लेबर पार्टी को भंग कर अंबेडकर ने SCF (शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन) की स्थापना की।
  • यह एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी थी, जो अछूतों के राजनीतिक हितों को सामने लाना चाहती थी।
  • 1946 के चुनावों में इस पार्टी को सीमित सफलता मिली।

6. संविधान निर्माण में भूमिका (1947–1950)

  • भारत की संविधान सभा के लिए अंबेडकर को बंगाल से सदस्य चुना गया।
  • उन्हें भारत के संविधान प्रारूप समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • उन्होंने भारतीय संविधान में समानता, धर्मनिरपेक्षता, स्वतंत्रता, सामाजिक न्याय और आरक्षण जैसे महत्वपूर्ण प्रावधानों को शामिल किया।

7. स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री (1947–1951)

  • आज़ादी के बाद, अंबेडकर को भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।
  • उन्होंने हिंदू कोड बिल का प्रस्ताव रखा, जिसमें महिलाओं को संपत्ति अधिकार, विवाह और तलाक में समानता जैसे प्रावधान थे।
  • ब्राह्मणवादी विरोध के कारण यह विधेयक पारित नहीं हो पाया और अंबेडकर ने 1951 में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

8. रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (RPI – 1956)

  • डॉ. अंबेडकर ने अपने जीवन के अंतिम दिनों में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की नींव रखी, हालांकि इसकी स्थापना उनके निधन के बाद 1957 में उनके अनुयायियों द्वारा की गई।
  • इस पार्टी का उद्देश्य था – दलितों को राजनीतिक रूप से संगठित करना और संसद व विधानसभा में प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराना।

9. बौद्ध धर्म ग्रहण – सामाजिक-राजनीतिक क्रांति (1956)

  • 14 अक्टूबर 1956 को, अंबेडकर ने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया।
  • यह केवल धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक और सामाजिक विद्रोह का भी प्रतीक था।
  • उन्होंने कहा कि "मैं हिन्दू पैदा हुआ, लेकिन हिन्दू नहीं मरूंगा।"

निष्कर्ष

डॉ. भीमराव अंबेडकर की राजनीतिक गतिविधियाँ केवल सत्ता की प्राप्ति के लिए नहीं थीं, बल्कि वंचितों को न्याय, सम्मान और अधिकार दिलाने का साधन थीं। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को सामाजिक न्याय की अवधारणा दी, और यह सुनिश्चित किया कि दलितों की आवाज राजनीतिक प्रणाली में सुनी जाए।

उनकी राजनीति नारा नहीं, बल्कि विचार और नीति पर आधारित थी। आज भी उनकी राजनीतिक दृष्टि सामाजिक न्याय और समानता की राजनीति की प्रेरणा है।

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