HOLY BOOKS OF SIKHISM
सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ
सिख धर्म में धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन के लिए कई पवित्र ग्रंथ हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है गुरु ग्रंथ साहिब। इसके अलावा अन्य ग्रंथ भी सिख इतिहास, परंपरा और शिक्षाओं से संबंधित हैं। नीचे प्रमुख ग्रंथों का विवरण दिया गया है:
1. गुरु ग्रंथ साहिब
गुरु ग्रंथ साहिब सिख धर्म का मुख्य और सर्वोच्च ग्रंथ है। यह सिखों का "जीवित गुरु" माना जाता है। इसमें सिख धर्म के दस गुरुओं में से पहले पाँच गुरुओं की वाणियाँ (शिक्षाएँ), संत कबीर, नामदेव, रैदास, और अन्य भक्ति आंदोलन के संतों की रचनाएँ भी शामिल हैं।
- इसमें कुल 1430 पृष्ठ हैं।
- इसे गुरमुखी लिपि में लिखा गया है।
- इसे गुरु अर्जुन देव जी ने संकलित किया और बाद में गुरु गोबिंद सिंह जी ने इसे अंतिम रूप देकर "गुरु" का दर्जा दिया।
2. दसम ग्रंथ (Dasam Granth)
यह ग्रंथ गुरु गोबिंद सिंह जी की रचनाओं का संग्रह है। इसमें उनके वीर रस, धार्मिक, और दार्शनिक विचार शामिल हैं।
- इसमें जाप साहिब, चौपाई साहिब, बचर नाटक, अकाल उसतत आदि प्रमुख रचनाएँ हैं।
- यह ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के बाद सबसे ज्यादा पढ़ा जाने वाला ग्रंथ है।
3. सरबलोह ग्रंथ (Sarbloh Granth)
यह ग्रंथ भी गुरु गोबिंद सिंह जी से संबंधित माना जाता है, हालांकि इसकी प्रामाणिकता को लेकर विद्वानों में मतभेद हैं। इसमें धार्मिक और युद्ध संबंधी रचनाएँ हैं।
- इसमें "सर्ब लोह" यानी "शुद्ध लोहे" के प्रतीक के रूप में शक्ति और न्याय की बात की गई है।
4. जनमसाखियाँ (Janamsakhis)
यह गुरु नानक देव जी के जीवन से संबंधित कहानियों और शिक्षाओं का संग्रह है। ये ग्रंथ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं।
- सबसे प्रसिद्ध जनमसाखियाँ "बाले वाली जनमसाखी" और "भाई मनी सिंह की जनमसाखी" हैं।
निष्कर्ष
सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ केवल धार्मिक ग्रंथ नहीं हैं, बल्कि वे जीवन जीने की कला, नैतिकता, समानता और सेवा की भावना का संदेश देते हैं। गुरु ग्रंथ साहिब सिखों के लिए एक मार्गदर्शक और आध्यात्मिक गुरु के रूप में प्रतिष्ठित है, जो सिख धर्म की आत्मा को दर्शाता है।
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