GURUDWARA KARTARPUR SAHIB PAKISTAN
गुरुद्वारा करतारपुर साहिब
गुरुद्वारा करतारपुर साहिब एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है जो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित है। यह गुरुद्वारा सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव जी द्वारा स्थापित किया गया था। गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष यहीं पर बिताए और यहीं पर उन्होंने 1539 ईस्वी में अपने प्राण त्यागे।
यह स्थान रावी नदी के किनारे स्थित है और भारतीय सीमा से मात्र 4.5 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत के पंजाब राज्य के डेरा बाबा नानक से यह साफ़ दिखाई देता है। करतारपुर साहिब गुरुद्वारा सिख समुदाय के लिए अत्यंत श्रद्धा और आस्था का केंद्र है।
गुरु नानक देव जी ने करतारपुर में एक आध्यात्मिक commune की स्थापना की थी, जहाँ वे खेती करते थे और आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान करते थे। उनका सन्देश भाईचारे, समानता, सेवा और ईश्वर के प्रति समर्पण पर आधारित था। उन्होंने लोगों को जात-पात, धर्म और सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठकर मानवता की सेवा करने की प्रेरणा दी।
करतारपुर कॉरिडोर, जो 2019 में भारत और पाकिस्तान की सरकारों के सहयोग से शुरू हुआ, सिख श्रद्धालुओं को बिना वीजा के इस पवित्र स्थल तक पहुंचने की सुविधा प्रदान करता है। यह कॉरिडोर डेरा बाबा नानक से लेकर गुरुद्वारा करतारपुर साहिब तक फैला है और यह सांप्रदायिक सौहार्द और शांति का प्रतीक माना जाता है।
गुरुद्वारा का स्थापत्य सुंदर और भव्य है। इसमें एक विशाल संगमरमर की इमारत, गुंबद, प्रार्थना हॉल, और लंगर हॉल है जहाँ हर आने वाले व्यक्ति को मुफ्त भोजन प्रदान किया जाता है। यह स्थान न केवल सिखों के लिए बल्कि हर धर्म और समुदाय के लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत है।
गुरुद्वारा करतारपुर साहिब आज भी गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का जीवंत प्रतीक है और यह स्थान शांति, सेवा और भाईचारे का संदेश पूरे विश्व को देता है। यह गुरुद्वारा हर वर्ष लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है जो यहाँ आकर आंतरिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव करते हैं।
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