BHAGWAN AJITNATH
अजितनाथ
अजितनाथ भगवान जैन धर्म के द्वितीय तीर्थंकर हैं। जैन ग्रंथों के अनुसार, उनका जन्म अयोध्या नगरी में राजा जितशत्रु और रानी विजयादेवी के यहाँ हुआ था। उनका जन्म चैत महीने के द्वितीया तिथि को हुआ था और वे इक्ष्वाकु वंश के थे। अजितनाथ जी का जीवन, तपस्या और उपदेश जैन धर्म के मूल सिद्धांतों का अद्भुत उदाहरण है।
भगवान अजितनाथ का बाल्यकाल राजसी वातावरण में बीता, लेकिन वे बचपन से ही धर्म, संयम और करुणा की ओर झुके हुए थे। उन्होंने युवावस्था में विवाह किया, परंतु बाद में वैराग्य की भावना जागृत होने पर उन्होंने अपना सब कुछ त्यागकर दीक्षा ग्रहण की और मुनि जीवन को अपनाया। दीक्षा लेने के बाद वे अनेक वर्षों तक कठिन तपस्या और ध्यान में लीन रहे।
दीर्घकालीन साधना के बाद भगवान अजितनाथ को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई, जिससे वे सर्वज्ञ बने। ज्ञान प्राप्ति के पश्चात उन्होंने संसार के जीवों को धर्म, सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और आत्मशुद्धि का उपदेश देना शुरू किया। उनके उपदेशों से अनेक लोगों ने सांसारिक मोह-माया त्याग कर मोक्ष के पथ पर अग्रसर होना शुरू किया।
भगवान अजितनाथ का चिह्न हाथी है, जो उनकी मूर्तियों और चित्रों में देखा जाता है। यह हाथी शक्ति, शांति और गरिमा का प्रतीक है। उनका शरीर स्वर्णवर्णी था और उनका जीवनकाल लाखों वर्षों का बताया जाता है, जैसा कि जैन ग्रंथों में वर्णित है।
अजितनाथ भगवान ने सम्मेद शिखर (पारसनाथ पर्वत) पर तपस्या करते हुए मोक्ष प्राप्त किया। यह स्थान आज जैन धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल माना जाता है, जहाँ पर लाखों श्रद्धालु हर वर्ष यात्रा करने जाते हैं।
भगवान अजितनाथ के जीवन से यह शिक्षा मिलती है कि भौतिक सुखों और सांसारिक मोह को त्याग कर ही आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति संभव है। उन्होंने अहिंसा, सत्य, संयम और तप के द्वारा जीवन के उच्चतम लक्ष्य को प्राप्त किया और अन्य जीवों को भी उसी मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
अजितनाथ भगवान की पूजा सभी जैन संप्रदायों द्वारा की जाती है, विशेषकर दिगंबर और श्वेतांबर दोनों परंपराओं में उनका विशेष महत्व है। मंदिरों में उनकी शांत मुद्रा वाली प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं, जहाँ श्रद्धालु ध्यान और प्रार्थना करते हैं।
अंततः, भगवान अजितनाथ का जीवन जैन धर्म की मूल भावना — आत्मज्ञान, संयम और करुणा — का प्रतीक है। उनका संदेश आज भी मानवता को एक आध्यात्मिक मार्ग दिखाने वाला प्रकाशस्तंभ है।
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