SUNDARKAND


परिचय:
‘सुंदरकांड’ रामचरितमानस का पाँचवाँ कांड है, जिसकी रचना गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। यह कांड भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान जी की वीरता, बुद्धिमत्ता, भक्ति और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है। ‘सुंदरकांड’ को अत्यंत मंगलकारी और फलदायक माना गया है। इसमें भगवान राम के दूत हनुमान जी की लंका यात्रा, सीता माता की खोज, और रावण के दरबार में उनका साहसिक प्रदर्शन वर्णित है।

सुंदरकांड का सार:
सुंदरकांड की शुरुआत होती है जब श्रीराम सीता माता की खोज में दुखी हैं। जाम्बवान् हनुमान जी को उनकी शक्ति का स्मरण कराते हैं, और फिर हनुमान जी समुद्र लांघकर लंका की ओर उड़ जाते हैं। रास्ते में उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जैसे मैनाक पर्वत, सुरसा राक्षसी और सिंहिका। लेकिन वे अपनी चतुराई और शक्ति से सभी बाधाओं को पार कर लेते हैं।

लंका पहुँचकर वे राक्षसों की नगरी को देखते हैं और रावण के महल में जाकर अशोक वाटिका में सीता माता को ढूँढ़ते हैं। वे सीता जी को श्रीराम का संदेश देते हैं और उनकी चूड़ामणि लेकर लौटने की बात करते हैं। रावण के सैनिकों द्वारा पकड़े जाने के बाद, हनुमान जी लंका में आग लगाकर वापस श्रीराम के पास लौटते हैं और उन्हें सीता जी का संदेश देते हैं।

सुंदरकांड का महत्व:
सुंदरकांड का पाठ करने से भय, दुख, रोग और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। इसे पढ़ने से आत्मबल, साहस और विश्वास की वृद्धि होती है। हनुमान जी की भक्ति से प्रेरित होकर व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली कठिनाइयों से जूझने की शक्ति प्राप्त करता है। यह कांड हमें बताता है कि एक सच्चा भक्त भगवान की सेवा में क्या-क्या कर सकता है।

भक्ति और प्रेरणा:
सुंदरकांड हनुमान जी के चरित्र को सुंदर रूप में प्रस्तुत करता है – उनका बल, बुद्धि, विनम्रता, और श्रीराम के प्रति अटूट भक्ति। यह कांड केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह जीवन में सत्य, धर्म और साहस की प्रेरणा देता है। हनुमान जी ने अपने पराक्रम से यह सिद्ध कर दिया कि जब मन में भक्ति होती है, तो कोई कार्य असंभव नहीं होता।

निष्कर्ष:
सुंदरकांड न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के संघर्षों में भी मार्गदर्शन देता है। इसे नियमित पढ़ने से आत्मविश्वास बढ़ता है और मन को शांति मिलती है। हनुमान जी जैसे परम भक्त की कथा हर मनुष्य के लिए प्रेरणा है। इसीलिए, सुंदरकांड का पाठ आज भी हर घर में श्रद्धा और विश्वास से किया जाता है।

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