SARYU RIVER


परिचय:
सरयू नदी भारत की एक पवित्र और ऐतिहासिक नदी है, जिसका उल्लेख वैदिक ग्रंथों, रामायण और पुराणों में मिलता है। यह नदी उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में बहती है और विशेष रूप से अयोध्या नगरी से जुड़ी हुई है, जो भगवान श्रीराम की जन्मभूमि मानी जाती है। सरयू नदी को हिन्दू धर्म में अत्यंत पूज्य माना गया है और इसे मोक्षदायिनी कहा जाता है।

सरयू का भौगोलिक स्वरूप:
सरयू नदी का उद्गम उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में स्थित बांका ग्लेशियर से होता है। यह नदी कुमाऊं क्षेत्र से निकलकर तराई क्षेत्र में प्रवेश करती है और आगे चलकर घाघरा नदी में मिल जाती है। सरयू नदी की प्रमुख सहायक नदियाँ गोमती, शारदा और राप्ती हैं। सरयू नदी घाघरा की एक प्रमुख उपनदी मानी जाती है और अंततः यह गंगा नदी में विलीन हो जाती है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:
सरयू नदी का नाम सुनते ही मन में अयोध्या और श्रीरामचरितमानस की स्मृति जाग्रत होती है। यह वही नदी है जिसमें अयोध्या के लोग स्नान करके अपने जीवन को पवित्र मानते थे। यह नदी न केवल अयोध्या के लिए बल्कि सम्पूर्ण भारत के हिन्दुओं के लिए श्रद्धा का केन्द्र है।

रामायण के अनुसार, भगवान श्रीराम ने अपने जीवन के अंतिम समय में सरयू नदी में जल समाधि ली थी और वैकुण्ठ धाम को प्रस्थान किया था। इस कारण सरयू नदी को मुक्ति देने वाली नदी माना जाता है। अयोध्या में सरयू के तट पर अनेक घाट हैं जैसे कि राम की पैड़ी, जहां श्रद्धालु आकर स्नान करते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।

वर्तमान में सरयू नदी:
आज भी सरयू नदी का धार्मिक महत्व उतना ही है जितना प्राचीन काल में था। विशेष अवसरों जैसे राम नवमी, दीपावली, छठ पूजा, और श्रावण मास में यहाँ लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं। हाल ही में अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के साथ-साथ सरयू नदी का महत्व और अधिक बढ़ गया है। नदी के किनारे राम की पैड़ी को खूबसूरती से सजाया गया है और रात में दीपों की जगमगाहट से यह दृश्य अत्यंत दिव्य प्रतीत होता है।

सरयू नदी और पर्यटन:
सरयू नदी अब एक धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन का केन्द्र बन चुकी है। देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक यहाँ आकर नदी का सौंदर्य, आरती और धार्मिक वातावरण का अनुभव करते हैं। नदी के किनारे रामायण से जुड़े कई स्थल जैसे गुप्तार घाट, नागेश्वरनाथ मंदिर, और हनुमानगढ़ी भी स्थित हैं।

निष्कर्ष:
सरयू नदी केवल एक जलधारा नहीं है, यह भारतीय संस्कृति, आस्था, और आध्यात्मिक परंपरा का प्रतीक है। यह नदी युगों-युगों से भक्तों के लिए मुक्ति का मार्ग रही है और भगवान श्रीराम की महिमा का साक्षी स्थल भी। सरयू के निर्मल जल में डुबकी लगाना आज भी श्रद्धालुओं के लिए सौभाग्य की बात मानी जाती है।

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