MAHAVIR JAYANTI


महावीर जयंती जैन धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर मार्च या अप्रैल के महीने में आती है।

भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व में बिहार के कुंडलग्राम (वर्तमान में वैशाली जिला) में हुआ था। उनके पिता राजा सिद्धार्थ और माता त्रिशला थीं। उनका बाल्यकाल का नाम वर्धमान था। वे अत्यंत बुद्धिमान, शांत, और करुणामयी स्वभाव के थे। मात्र 30 वर्ष की आयु में उन्होंने राजपाट और सांसारिक सुखों का त्याग कर दिया और ज्ञान की खोज में निकल पड़े। 12 वर्षों की कठिन तपस्या के बाद उन्हें कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे 'महावीर' कहलाए।

भगवान महावीर ने अहिंसा, सत्य, अचौर्य (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग) के सिद्धांतों का प्रचार किया। उन्होंने यह सिखाया कि आत्मा की मुक्ति तभी संभव है जब मनुष्य अपने कर्मों को नियंत्रित करे और इन सिद्धांतों का पालन करे। उनका संदेश आज भी समाज के लिए मार्गदर्शक है।

महावीर जयंती के दिन जैन अनुयायी विशेष रूप से पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिरों को भव्य रूप से सजाया जाता है और भगवान महावीर की प्रतिमा का जल और दूध से अभिषेक किया जाता है। शोभा यात्राएं निकाली जाती हैं जिसमें भगवान महावीर की झांकियां और उनके उपदेशों को चित्रों एवं नारों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है। लोग इस दिन दान-पुण्य करते हैं, जरूरतमंदों को वस्त्र, भोजन और दवाइयाँ वितरित करते हैं।

इस दिन जैन धर्म के अनुयायी उपवास रखते हैं और सत्संग, प्रवचन तथा ध्यान-धारणा में समय बिताते हैं। भगवान महावीर के उपदेशों का पाठ किया जाता है और उनके जीवन से प्रेरणा ली जाती है। जैन मंदिरों में धार्मिक प्रवचन, भजन-कीर्तन और सामूहिक प्रार्थनाओं का आयोजन होता है।

आज के समय में जब समाज में हिंसा, असत्य और लालच बढ़ रहा है, भगवान महावीर के सिद्धांत और उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। उनका संदेश केवल जैन धर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि समस्त मानव जाति के कल्याण के लिए है। यदि हम उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें तो एक शांतिपूर्ण, करुणामय और सच्चा समाज निर्मित किया जा सकता है।

अतः महावीर जयंती केवल एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मचिंतन और आत्मसुधार का अवसर भी है। यह दिन हमें सिखाता है कि हम अपने जीवन को कैसे बेहतर बना सकते हैं और दूसरों के जीवन में भी कैसे सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं।

जय महावीर!

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