JAINISM OUTSIDE INDIA

 

भारत के बाहर जैन धर्म 

जैन धर्म की उत्पत्ति भारत में हुई, लेकिन आज यह केवल भारत तक सीमित नहीं है। समय के साथ-साथ जैन समुदाय के लोग दुनिया के कई देशों में बस गए हैं और उन्होंने वहाँ भी अपने धर्म और संस्कृति को बनाए रखा है। भारत के बाहर जैन धर्म की उपस्थिति वैश्विक स्तर पर फैल चुकी है, विशेषकर अमेरिका, इंग्लैंड, केन्या, कनाडा, यूएई, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देशों में।

प्रवासन और प्रसार

20वीं शताब्दी के मध्य में, विशेषकर 1960 के दशक के बाद, कई जैन परिवार शिक्षा, व्यापार और नौकरी के लिए विदेशों में गए। उन्होंने वहाँ पर जैन समुदायों की स्थापना की, जैन मंदिर, सभागृह और धार्मिक संस्थाएँ बनाईं। इन संस्थाओं ने न केवल पूजा-पाठ का स्थान प्रदान किया, बल्कि धर्मशिक्षा, संस्कार और संस्कृति को बनाए रखने में भी बड़ी भूमिका निभाई।

अमेरिका और जैन धर्म

संयुक्त राज्य अमेरिका में जैन धर्म का प्रभाव सबसे अधिक देखा जाता है। वहाँ जैन सेंटर ऑफ अमेरिका (JCA), फेडरेशन ऑफ जैन असोसिएशन्स इन नॉर्थ अमेरिका (JAINA) जैसी संस्थाएँ जैन धर्म के प्रचार-प्रसार में अग्रणी हैं। अमेरिका में कई भव्य जैन मंदिर भी बनाए गए हैं, जैसे कि लॉस एंजेलेस, न्यू जर्सी और शिकागो में।

इंग्लैंड और यूरोप

इंग्लैंड में जैन समुदाय विशेष रूप से लंदन और लीसेस्टर जैसे शहरों में सक्रिय है। वहाँ जैन सेंटर लंदन और ओशवाल एसोसिएशन जैसे संगठन धार्मिक आयोजनों और शिक्षा का संचालन करते हैं। यूरोप के अन्य देशों जैसे जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम में भी छोटे जैन समुदाय मौजूद हैं।

अफ्रीका और खाड़ी देश

पूर्वी अफ्रीका (विशेषकर केन्या, तंजानिया, युगांडा) में भी जैन धर्म की अच्छी उपस्थिति है। यहाँ जैन समुदाय ने मंदिर, स्कूल और अस्पताल जैसी संस्थाएँ बनाई हैं।
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में भी दुबई और अबू धाबी में जैन मंदिर और समुदाय बहुत सक्रिय हैं।

निष्कर्ष

भारत के बाहर जैन धर्म ने अपनी पहचान को बनाए रखा है। भले ही जैन समुदाय की संख्या सीमित हो, लेकिन उनकी आस्था, अहिंसा और संस्कृति की जड़ें गहरी हैं। जैन अनुयायी जहाँ भी हैं, वे शांति, सेवा और सत्य का संदेश देते हैं।

जैन धर्म – सीमाओं से परे, सच्चाई और अहिंसा का वैश्विक संदेश।

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