PAWAPURI

 

पावापुरी (500 शब्दों में विवरण)

पावापुरी, जिसे अपापपुरी भी कहा जाता है, बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित एक अत्यंत पवित्र और ऐतिहासिक स्थल है। यह स्थान जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण (मोक्ष) स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। जैन धर्म के अनुयायियों के लिए पावापुरी एक महान तीर्थस्थल है, जहाँ हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

भगवान महावीर ने अपने जीवन के अंतिम दिन पावापुरी में ही बिताए थे। यहीं पर उन्होंने कार्तिक मास की अमावस्या के दिन, लगभग 527 ईसा पूर्व, अपने शरीर का त्याग कर मोक्ष प्राप्त किया था। मोक्ष का अर्थ है आत्मा का जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हो जाना। जैन धर्म में यह अंतिम लक्ष्य माना जाता है।

पावापुरी को "अपापपुरी" इसलिए कहा गया क्योंकि यहाँ पाप का कोई अस्तित्व नहीं माना जाता। यह स्थान पूर्णतः शुद्ध, शांत और पवित्र माना जाता है। जब भगवान महावीर का अंतिम संस्कार हुआ, तो इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उनकी भस्म (राख) को ले जाने के लिए मिट्टी उठाई कि वह स्थान गहरा होकर एक तालाब में परिवर्तित हो गया। आज उसी तालाब के बीचोंबीच स्थित है प्रसिद्ध जल मंदिर, जो पावापुरी का मुख्य आकर्षण है।

जल मंदिर सफेद संगमरमर से बना हुआ है और एक छोटे से द्वीप पर स्थित है। यह मंदिर चारों ओर से जल से घिरा हुआ है और वहाँ तक पहुँचने के लिए एक पतले पुल का निर्माण किया गया है। मंदिर की वास्तुकला अत्यंत सुंदर है और इसका शांत वातावरण आत्मिक शांति प्रदान करता है।

पावापुरी में एक और महत्वपूर्ण मंदिर है – समवशरण मंदिर, जो भगवान महावीर की दिव्य उपदेश स्थली को समर्पित है। इसके अलावा यहाँ दिगंबर जैन मंदिर और अन्य कई छोटे-बड़े मंदिर और धर्मशालाएँ भी हैं।

हर वर्ष महावीर निर्वाण दिवस (दीपावली के दिन) को यहाँ विशेष उत्सव मनाया जाता है। इस दिन देश-विदेश से हजारों जैन अनुयायी यहाँ एकत्रित होते हैं और भगवान महावीर के उपदेशों को स्मरण करते हुए पूजा-अर्चना करते हैं।

पावापुरी का आध्यात्मिक महत्व केवल जैन धर्म के अनुयायियों तक सीमित नहीं है। यह स्थान शांति, तप, अहिंसा और मोक्ष की भावना का प्रतीक है, जो हर धर्म और संस्कृति के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यहाँ का वातावरण, प्रकृति की सुंदरता और धार्मिक ऊर्जा लोगों को आत्मिक रूप से जोड़ती है।

निष्कर्षतः, पावापुरी एक ऐसा स्थल है जहाँ धर्म, इतिहास और आत्मिक शांति एक साथ मिलते हैं। यह स्थान हमें भगवान महावीर के जीवन, उनके सिद्धांतों और मोक्ष की यात्रा की याद दिलाता है।

पावापुरी – मोक्ष की भूमि, अहिंसा का संदेश और आत्मा की शुद्धि का मार्ग।

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