BUNDELA KINGS
बुंदेला राजा (Bundela Kings)
बुंदेला राजा मध्य भारत के प्रमुख राजपूत शासक थे, जिन्होंने बुंदेलखंड क्षेत्र में कई शताब्दियों तक शासन किया। बुंदेलखंड का क्षेत्र वर्तमान मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में फैला हुआ है। बुंदेला वंश की स्थापना 14वीं शताब्दी में राजा पंचम सिंह बुंदेला के वंशज वीरभद्र और बाद में राजा रुद्र प्रताप सिंह के शासनकाल से मानी जाती है। रुद्र प्रताप सिंह को ओरछा राज्य का संस्थापक माना जाता है।
बुंदेला शासक अपनी वीरता, स्वाभिमान और स्वतंत्रता प्रेम के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने मुगल साम्राज्य से कई बार संघर्ष किया और आवश्यकता पड़ने पर संधियाँ भी कीं। राजा छत्रसाल बुंदेला इतिहास के सबसे प्रतापी शासकों में गिने जाते हैं। उन्होंने मुगलों के विरुद्ध लंबा संघर्ष किया और बुंदेलखंड को स्वतंत्र कराया। उनकी वीरता से प्रभावित होकर मराठा शासक पेशवा बाजीराव प्रथम ने भी उनका साथ दिया।
राजा बीर सिंह देव, माधुकर शाह, इंद्रजीत सिंह और हरदौल जैसे शासक व योद्धा बुंदेला इतिहास में विशेष स्थान रखते हैं। राजा बीर सिंह देव ने ओरछा के भव्य महलों और मंदिरों का निर्माण करवाया, जिनमें जहांगीर महल प्रमुख है। बुंदेला शासकों ने कला, स्थापत्य और धर्म को संरक्षण दिया। खजुराहो के मंदिरों का संरक्षण, ओरछा के किले–महल और अनेक जल संरचनाएँ उनकी सांस्कृतिक रुचि का प्रमाण हैं।
बुंदेला राजाओं का शासन न्यायप्रियता और लोककल्याण के लिए जाना जाता था। उन्होंने कृषि, सिंचाई और स्थानीय प्रशासन को सुदृढ़ किया। उनकी लोककथाएँ और बलिदान आज भी बुंदेलखंड की संस्कृति में जीवंत हैं।
कुल मिलाकर, बुंदेला राजा भारतीय इतिहास में साहस, आत्मसम्मान और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक माने जाते
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