VAJJIKA

 वज्जिका भाषा – परिचय

वज्जिका हिंदी की एक प्रमुख पूर्वी लोकभाषा है, जो मुख्य रूप से बिहार के उत्तरी भाग में बोली जाती है। यह भाषा विशेष रूप से वैशाली, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर और आसपास के जिलों में प्रचलित है। नेपाल के तराई क्षेत्र में भी वज्जिका बोलने वालों की संख्या पाई जाती है। वज्जिका भाषा का नाम प्राचीन वज्जि संघ से जुड़ा हुआ है, जिसकी राजधानी वैशाली थी।

वज्जिका का इतिहास अत्यंत प्राचीन माना जाता है। इसे मागधी प्राकृत की एक विकसित शाखा समझा जाता है। बौद्ध काल में वैशाली एक महत्वपूर्ण धार्मिक और राजनीतिक केंद्र था, जहाँ लोकतांत्रिक व्यवस्था के रूप में वज्जि संघ प्रसिद्ध था। इसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के कारण वज्जिका भाषा और संस्कृति का विकास हुआ।

भाषिक दृष्टि से वज्जिका की संरचना भोजपुरी और मैथिली से मिलती-जुलती है, लेकिन इसकी अपनी अलग पहचान है। इसके उच्चारण, शब्दावली और क्रिया-रूप इसे विशिष्ट बनाते हैं। वज्जिका सरल और सहज भाषा है, जो ग्रामीण और कस्बाई जीवन की भावनाओं को प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त करती है। इसमें सम्मान सूचक शब्दों और संबोधन के विभिन्न रूप पाए जाते हैं।

साहित्य के क्षेत्र में वज्जिका का अधिकांश योगदान लोकसाहित्य के रूप में है। लोकगीत, सोहर, विवाह गीत, छठ गीत और लोककथाएँ वज्जिका संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। आधुनिक काल में कुछ लेखकों और कवियों ने वज्जिका में रचनाएँ कर इसे लिखित साहित्य का स्वरूप देने का प्रयास किया है।

सांस्कृतिक रूप से वज्जिका क्षेत्र अत्यंत समृद्ध है। छठ पूजा, दुर्गा पूजा, होली और विवाह संस्कार यहाँ विशेष उत्साह से मनाए जाते हैं। आज भी वज्जिका भाषा लोगों के दैनिक जीवन, परंपराओं और सामाजिक संबंधों में जीवंत रूप से प्रयोग होती है और बिहार की भाषाई विविधता को और अधिक समृद्ध बनाती है।

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