HARIYANVI

 हरियाणवी भाषा – परिचय

हरियाणवी हिंदी की एक प्रमुख उपभाषा है, जो मुख्य रूप से हरियाणा राज्य तथा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में बोली जाती है। इसे बांगड़ू भी कहा जाता है। हरियाणवी भाषा की पहचान उसकी स्पष्ट, तेज़ और सशक्त अभिव्यक्ति शैली से होती है, जो इस क्षेत्र के लोगों के स्वभाव और संस्कृति को प्रतिबिंबित करती है।

हरियाणवी भाषा का इतिहास प्राचीन है और इसका विकास शौरसेनी अपभ्रंश से माना जाता है। यह भाषा लंबे समय तक ग्रामीण और लोकजीवन की भाषा रही है। आधुनिक काल में भी हरियाणवी का प्रयोग दैनिक बोलचाल में व्यापक रूप से होता है, यद्यपि औपचारिक कार्यों में मानक हिंदी का प्रयोग अधिक देखा जाता है।

भाषिक दृष्टि से हरियाणवी की शब्दावली सरल और प्रभावशाली है। इसमें संस्कृत, प्राकृत, फ़ारसी और अरबी शब्दों का मिश्रण मिलता है। हरियाणवी के उच्चारण में कठोरता और स्पष्टता दिखाई देती है, जिससे यह भाषा सीधी और सटीक प्रतीत होती है। व्याकरणिक संरचना हिंदी से मिलती-जुलती होते हुए भी इसमें कई स्थानीय रूप और मुहावरे पाए जाते हैं।

साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में हरियाणवी का योगदान महत्वपूर्ण है। लोकगीत, रागनी, सांग, देहाती नाटक और कहावतें हरियाणवी संस्कृति की पहचान हैं। हरियाणवी लोकसंगीत और नृत्य समाज में मनोरंजन और सामाजिक संदेश का माध्यम रहे हैं। आधुनिक समय में हरियाणवी गीतों और फिल्मों ने इस भाषा को नई पहचान दी है।

सांस्कृतिक रूप से हरियाणवी समाज मेहनतकश, वीर और परंपरावादी माना जाता है। तीज, लोहड़ी, होली और छठ जैसे पर्व यहाँ उत्साह से मनाए जाते हैं। आज भी हरियाणवी भाषा लोगों के दैनिक जीवन, लोकसंस्कृति और सामाजिक संबंधों में जीवंत रूप से प्रयोग होती है और हिंदी भाषी क्षेत्र की विविधता को समृद्ध बनाती है।

Comments

Popular posts from this blog

GUJARATI ALPHABETS AND SYMBOLS

MAHUA BAGH GHAZIPUR