BUNDELI ART

 बुंदेली कला 

बुंदेली कला बुंदेलखंड क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा है। बुंदेलखंड क्षेत्र मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में फैला हुआ है। यहाँ की कला में स्थानीय जीवन, प्रकृति, वीरता, भक्ति और लोकपरंपराओं की सजीव झलक देखने को मिलती है। बुंदेली कला सरल होते हुए भी भावनाओं से भरपूर और जनजीवन से गहराई से जुड़ी हुई है।

बुंदेली कला का विकास मुख्यतः बुंदेला राजाओं के संरक्षण में हुआ। ओरछा, झांसी, दतिया और पन्ना जैसे क्षेत्रों में बने किले, महल और मंदिर बुंदेली स्थापत्य कला के उत्कृष्ट उदाहरण हैं। ओरछा का रामराजा मंदिर, जहाँ भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है, बुंदेली धार्मिक कला की विशिष्ट पहचान है। किलों और महलों की भित्तियों पर बने भित्तिचित्रों में रामायण, महाभारत और लोक कथाओं के दृश्य चित्रित हैं।

बुंदेली चित्रकला में प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता था। लाल, पीला, हरा और नीला रंग प्रमुख रूप से उपयोग में लाए जाते थे। चित्रों में मानव आकृतियाँ सरल रेखाओं से बनाई जाती थीं, जिनमें भावों की स्पष्ट अभिव्यक्ति होती थी। लोकजीवन, त्योहार, नृत्य और युद्ध प्रसंग बुंदेली चित्रकला के प्रमुख विषय रहे हैं।

बुंदेली कला केवल स्थापत्य और चित्रकला तक सीमित नहीं है, बल्कि मूर्तिकला, लोकसंगीत और लोकनृत्य में भी इसकी झलक मिलती है। पत्थर की मूर्तियों में देवी-देवताओं के साथ-साथ जनसामान्य के जीवन से जुड़े दृश्य भी उकेरे गए हैं। आल्हा गायन, राई नृत्य और लोकगीत बुंदेली सांस्कृतिक कला को जीवंत बनाए रखते हैं।

आज के समय में बुंदेली कला संरक्षण की आवश्यकता है। यह कला न केवल अतीत की पहचान है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का माध्यम भी है। बुंदेली कला भारतीय लोककला परंपरा की अमूल्य धरोहर है।

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