MUNDGOD MATH

 मुंडगोड मठ (दक्षिण भारत का तिब्बती बौद्ध केंद्र)

मुंडगोड मठ कर्नाटक राज्य के उत्तर कन्नड़ ज़िले में स्थित एक प्रसिद्ध तिब्बती बौद्ध धार्मिक एवं शैक्षणिक केंद्र है। यह मठ भारत में बसे तिब्बती शरणार्थियों के प्रमुख आध्यात्मिक केंद्रों में से एक माना जाता है। वर्ष 1960 के दशक में तिब्बत से आए शरणार्थी भिक्षुओं द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। दलाई लामा के मार्गदर्शन में यह क्षेत्र तिब्बती बौद्ध संस्कृति के संरक्षण और प्रचार का महत्वपूर्ण केंद्र बना।

मुंडगोड क्षेत्र में मुख्यतः दो बड़े मठ हैं—ड्रेपुंग मठ और सेरा मठ। ये दोनों मठ बौद्ध दर्शन, तर्कशास्त्र, ध्यान और नैतिक शिक्षा के लिए विश्व प्रसिद्ध हैं। यहां हजारों भिक्षु अध्ययन करते हैं और कठोर अनुशासन के साथ बौद्ध ग्रंथों का गहन अध्ययन करते हैं। मठों में दी जाने वाली शिक्षा परंपरागत गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित है।

मुंडगोड मठ की वास्तुकला तिब्बती शैली की उत्कृष्ट मिसाल है। रंगीन प्रार्थना ध्वज, विशाल बुद्ध प्रतिमाएं, सुंदर भित्ति चित्र और शांत वातावरण यहां आने वाले श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं। यहां नियमित रूप से पूजा-पाठ, मंत्रोच्चार, ध्यान सत्र और धार्मिक वाद-विवाद आयोजित किए जाते हैं।

यह मठ केवल धार्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक है। यहां तिब्बती भाषा, कला, संगीत और त्योहारों का संरक्षण किया जाता है। लोसर (तिब्बती नववर्ष) जैसे पर्व यहां बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।

पर्यटन की दृष्टि से भी मुंडगोड मठ का विशेष महत्व है। देश-विदेश से पर्यटक और शोधार्थी यहां आते हैं। कुल मिलाकर, मुंडगोड मठ तिब्बती बौद्ध धर्म, शिक्षा और संस्कृति का एक जीवंत केंद्र है, जो शांति, करुणा और ज्ञान का संदेश देता है।

Comments

Popular posts from this blog

GUJARATI ALPHABETS AND SYMBOLS

MAHUA BAGH GHAZIPUR