CONTINENTAL CUISINE

 कॉन्टिनेंटल व्यंजन 

कॉन्टिनेंटल व्यंजन यूरोप और पश्चिमी देशों की पाक परंपराओं का सामूहिक रूप है। इसमें मुख्य रूप से फ्रांस, इटली, स्पेन, जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों की भोजन शैली शामिल मानी जाती है। भारत में “कॉन्टिनेंटल फूड” शब्द का प्रयोग उन व्यंजनों के लिए किया जाता है, जो पारंपरिक भारतीय भोजन से अलग, हल्के मसालों और विशिष्ट पकाने की तकनीकों पर आधारित होते हैं।

कॉन्टिनेंटल व्यंजनों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इनमें मसालों का प्रयोग सीमित मात्रा में किया जाता है। स्वाद बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटियाँ जैसे थाइम, रोज़मेरी, बेसिल और ऑरेगैनो का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा मक्खन, चीज़, क्रीम, जैतून का तेल और वाइन सॉस का प्रयोग भी आम है। भोजन की प्रस्तुति पर विशेष ध्यान दिया जाता है, जिससे व्यंजन देखने में आकर्षक लगें।

इस भोजन शैली में सूप, सलाद, ब्रेड, पास्ता, पिज़्ज़ा, स्टेक और बेक्ड डिशेज़ प्रमुख हैं। टमाटर सूप, क्रीम ऑफ मशरूम सूप, सीज़र सलाद, गार्लिक ब्रेड, पास्ता अल्फ्रेडो और ग्रिल्ड चिकन जैसे व्यंजन कॉन्टिनेंटल खाने के लोकप्रिय उदाहरण हैं। मिठाइयों में केक, पेस्ट्री, पुडिंग और चॉकलेट आधारित डेज़र्ट पसंद किए जाते हैं।

कॉन्टिनेंटल भोजन पकाने की विधियाँ भी अलग होती हैं। इसमें उबालना, बेक करना, ग्रिल करना और सॉते करना प्रमुख तकनीकें हैं। इन विधियों से भोजन हल्का, सुपाच्य और पोषण से भरपूर माना जाता है।

आज के समय में कॉन्टिनेंटल व्यंजन भारत के होटलों, रेस्टोरेंट्स और कैफ़े में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं। यह भोजन न केवल स्वाद में अलग होता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय संस्कृति और जीवनशैली से परिचय कराने का माध्यम भी बनता है। इस प्रकार कॉन्टिनेंटल व्यंजन वैश्विक खानपान परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

Comments

Popular posts from this blog

GUJARATI ALPHABETS AND SYMBOLS

MAHUA BAGH GHAZIPUR