GODI MEDIA
गोदी मीडिया शब्द का प्रयोग भारत में उन मीडिया संस्थानों या पत्रकारिता के उस हिस्से के लिए किया जाता है, जिस पर यह आरोप लगाया जाता है कि वह सत्ता के बहुत अधिक निकट होकर काम करता है। इस शब्द का आशय यह है कि ऐसा मीडिया स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता के बजाय सरकार या सत्तारूढ़ दल के पक्ष में खबरें प्रस्तुत करता है। “गोदी” शब्द प्रतीकात्मक रूप से यह दर्शाता है कि मीडिया सत्ता की गोद में बैठा हुआ है और उससे जुड़े सवालों को उठाने के बजाय उसकी नीतियों का समर्थन करता है।
गोदी मीडिया की सबसे बड़ी विशेषता यह मानी जाती है कि वह महत्वपूर्ण जनसमस्याओं जैसे बेरोज़गारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य और किसानों की स्थिति पर गंभीर चर्चा कम करता है। इसके स्थान पर वह राजनीतिक बयानबाज़ी, भावनात्मक मुद्दों, राष्ट्रवाद, धर्म या सनसनीखेज खबरों को अधिक महत्व देता है। इससे जनता का ध्यान असली मुद्दों से भटक जाता है और लोकतांत्रिक विमर्श कमजोर पड़ता है।
आलोचकों का मानना है कि गोदी मीडिया सत्ता से जुड़े विज्ञापनों, आर्थिक दबावों और राजनीतिक समीकरणों के कारण निष्पक्षता खो बैठता है। परिणामस्वरूप पत्रकारिता का मूल उद्देश्य—सत्ता से सवाल पूछना और जनता की आवाज़ बनना—पीछे छूट जाता है। कई बार विपक्षी दलों या सरकार की आलोचना करने वाले व्यक्तियों को नकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जबकि सत्ता पक्ष की गलतियों को नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
हालाँकि, यह भी सच है कि सभी मीडिया संस्थानों को एक ही श्रेणी में रखना उचित नहीं है। आज भी कई पत्रकार और समाचार माध्यम ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं और सच्चाई सामने लाने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए पाठकों और दर्शकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे खबरों को आलोचनात्मक दृष्टि से देखें, विभिन्न स्रोतों से जानकारी लें और किसी एक माध्यम पर पूरी तरह निर्भर न रहें। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया अत्यंत आवश्यक है।
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