SAL TREE

 साल का पेड़ (Sal Tree)

साल का पेड़ भारत के प्रमुख वनों में पाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण वृक्ष है। इसका वैज्ञानिक नाम शोरिया रोबस्टा (Shorea robusta) है। यह मुख्य रूप से मध्य भारत, पूर्वी भारत, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में पाया जाता है। साल का पेड़ उष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह पनपता है और शुष्क तथा अर्ध-आर्द्र क्षेत्रों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

साल का पेड़ सामान्यतः 30 से 40 मीटर तक ऊँचा होता है। इसका तना सीधा, मजबूत और कठोर होता है। इसकी छाल गहरे भूरे रंग की होती है, जो खुरदरी दिखाई देती है। इसकी पत्तियाँ मोटी, चमकदार और अंडाकार होती हैं। गर्मियों में इसके पत्ते झड़ जाते हैं और नए पत्ते निकलते हैं। साल के फूल छोटे, हल्के पीले रंग के होते हैं, जो गुच्छों में खिलते हैं।

आर्थिक दृष्टि से साल का पेड़ अत्यंत उपयोगी है। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत और टिकाऊ होती है, इसलिए इसका उपयोग घरों, पुलों, रेलवे स्लीपर, फर्नीचर और कृषि औजार बनाने में किया जाता है। साल के बीजों से तेल निकाला जाता है, जिसे “साल बीज तेल” कहा जाता है। यह तेल साबुन, मोमबत्ती और खाद्य पदार्थों में भी प्रयोग किया जाता है।

सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से भी साल का पेड़ महत्वपूर्ण है। आदिवासी समाज में इसे पवित्र माना जाता है और कई पर्व-त्योहारों में इसकी पत्तियों का उपयोग किया जाता है। साल के पत्तों से दोना-पत्तल बनाए जाते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल होते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से साल का पेड़ वनों की जैव विविधता को बनाए रखने में सहायक है। यह मिट्टी के कटाव को रोकता है और वन्य जीवों को आश्रय प्रदान करता है। इसलिए साल के वृक्षों का संरक्षण और संवर्धन अत्यंत आवश्यक है।

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