MULBERRY

 शहतूत (Mulberry) 

शहतूत, जिसे अंग्रेज़ी में Mulberry कहा जाता है, एक उपयोगी फलदार वृक्ष है जो भारत सहित कई देशों में पाया जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम Morus है। शहतूत का पेड़ मध्यम आकार का होता है और इसके पत्ते, फल तथा लकड़ी सभी किसी न किसी रूप में उपयोगी माने जाते हैं। भारत में यह विशेष रूप से रेशम उद्योग से जुड़ा हुआ है, क्योंकि रेशम के कीड़े शहतूत के पत्तों पर ही पलते हैं।

शहतूत के पत्ते पोषण से भरपूर होते हैं और रेशम के कीड़ों के लिए मुख्य भोजन हैं। अच्छी गुणवत्ता का रेशम प्राप्त करने के लिए स्वस्थ शहतूत के पौधों का होना आवश्यक होता है। इसी कारण कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में शहतूत की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। शहतूत के पौधे कम समय में बढ़ जाते हैं और इनसे बार-बार पत्तियाँ प्राप्त की जा सकती हैं।

शहतूत का फल मीठा और रसीला होता है। यह सफेद, लाल और काले रंग का पाया जाता है। फल में विटामिन C, विटामिन K, आयरन, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रचुर मात्रा में होते हैं। शहतूत का सेवन पाचन को बेहतर बनाता है, रक्त की कमी दूर करने में सहायक होता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। आयुर्वेद में शहतूत को स्वास्थ्यवर्धक फल माना गया है।

शहतूत का उपयोग केवल फल और पत्तों तक सीमित नहीं है। इसकी लकड़ी से खेल सामग्री, फर्नीचर और कृषि उपकरण बनाए जाते हैं। इसके अलावा शहतूत के फलों से जैम, जूस, सिरप और मिठाइयाँ भी तैयार की जाती हैं।

इस प्रकार शहतूत एक बहुउपयोगी पौधा है, जो कृषि, उद्योग और स्वास्थ्य—तीनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। रेशम उत्पादन में इसकी भूमिका इसे विशेष महत्व प्रदान करती है और यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाता है।

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