VISHNU BHATT GODSE

 विष्णु भट्ट गोडसे 

विष्णु भट्ट गोडसे उन्नीसवीं शताब्दी के एक प्रसिद्ध मराठी लेखक, यात्री और इतिहासकार थे। वे विशेष रूप से अपनी पुस्तक “माझा प्रवास” के लिए जाने जाते हैं, जो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण प्रत्यक्ष विवरण प्रस्तुत करती है। उनका जन्म महाराष्ट्र में एक परंपरागत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। संस्कृत, मराठी और धार्मिक ग्रंथों का उन्हें अच्छा ज्ञान था, जिसके कारण उनकी भाषा में विद्वत्ता और स्पष्टता दिखाई देती है।

विष्णु भट्ट गोडसे 1857 में एक धार्मिक यात्रा के उद्देश्य से उत्तर भारत आए थे। इसी दौरान वे कानपुर, झांसी, दिल्ली और अन्य क्षेत्रों में पहुँचे, जहाँ उन्होंने 1857 के विद्रोह की घटनाओं को बहुत निकट से देखा। उस समय भारत में अंग्रेज़ी शासन के विरुद्ध व्यापक असंतोष फैल चुका था। गोडसे ने न केवल युद्ध और हिंसा की घटनाओं का वर्णन किया, बल्कि आम जनता की पीड़ा, भय और आशाओं को भी अपनी रचनाओं में स्थान दिया।

उनकी प्रसिद्ध कृति “माझा प्रवास” में रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नाना साहेब और अन्य क्रांतिकारियों का उल्लेख मिलता है। यह पुस्तक इसलिए विशेष मानी जाती है क्योंकि इसमें किसी अंग्रेज़ अधिकारी या इतिहासकार की दृष्टि नहीं, बल्कि एक भारतीय प्रत्यक्षदर्शी की दृष्टि से घटनाओं का वर्णन है। गोडसे ने अंग्रेज़ी सेना की कठोरता, लूटपाट और भारतीयों पर किए गए अत्याचारों का यथार्थ चित्रण किया है।

विष्णु भट्ट गोडसे का लेखन सरल, प्रभावशाली और भावनात्मक है। वे इतिहास को केवल तिथियों और घटनाओं तक सीमित नहीं रखते, बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी उजागर करते हैं। उनका योगदान भारतीय इतिहास लेखन में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने 1857 के संग्राम को जनसाधारण के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।

इस प्रकार विष्णु भट्ट गोडसे न केवल एक लेखक थे, बल्कि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के एक सजीव साक्षी भी थे, जिनकी रचनाएँ आज भी इतिहास को समझने में अमूल्य स्रोत मानी जाती हैं।

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