TASAR
तसर (Tasar)
तसर, जिसे तुस्सर रेशम (Tasar Silk) भी कहा जाता है, भारत में पाए जाने वाले प्रमुख प्राकृतिक रेशमों में से एक है। यह रेशम विशेष रूप से वन क्षेत्रों में पाले जाने वाले रेशम के कीड़ों से प्राप्त होता है। तसर रेशम का उत्पादन मुख्यतः झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, बिहार और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में किया जाता है। यह रेशम अपनी प्राकृतिक सुनहरी आभा और मजबूत बनावट के लिए प्रसिद्ध है।
तसर रेशम का कीड़ा (Antheraea mylitta) मुख्य रूप से अर्जुन, असन और साल जैसे वन वृक्षों की पत्तियाँ खाता है। इन वृक्षों पर खुले वातावरण में कीट पालन किया जाता है, जिसे “वन्य या अर्ध-वन्य रेशम उत्पादन” कहा जाता है। यही कारण है कि तसर रेशम का रंग और बनावट प्राकृतिक और थोड़ा खुरदुरा होता है, जो इसे अन्य रेशमों से अलग पहचान देता है।
तसर रेशम से बने वस्त्र हल्के, टिकाऊ और आकर्षक होते हैं। इससे साड़ियाँ, दुपट्टे, स्टोल, कुर्ते और सजावटी कपड़े तैयार किए जाते हैं। आदिवासी और ग्रामीण समुदायों में तसर रेशम से बने परिधान पारंपरिक अवसरों और त्योहारों में विशेष रूप से पहने जाते हैं। इसकी प्राकृतिक चमक और मिट्टी से जुड़े रंग इसे आधुनिक फैशन में भी लोकप्रिय बनाते हैं।
आर्थिक दृष्टि से तसर रेशम का बहुत महत्व है। इससे लाखों ग्रामीण परिवारों, विशेषकर आदिवासी समुदायों को रोजगार मिलता है। तसर रेशम उत्पादन कम पूंजी में संभव है और यह वन संरक्षण के साथ आजीविका का साधन प्रदान करता है। सरकार भी तसर रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और विपणन सुविधाएँ उपलब्ध कराती है।
इस प्रकार तसर रेशम भारत की समृद्ध हस्तशिल्प और वस्त्र परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्राकृतिक सौंदर्य, सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण विकास का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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