MAGH MELA

 माघ मेला भारत के प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक मेलों में से एक है। यह मेला हर वर्ष माघ महीने में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर आयोजित किया जाता है। माघ मेला हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे आस्था, तप और दान का महापर्व कहा जाता है। पौष पूर्णिमा से लेकर माघ पूर्णिमा तक चलने वाले इस मेले में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

माघ मेले का सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण संगम में स्नान करना है। मान्यता है कि माघ मास में संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दौरान कल्पवासी विशेष रूप से संगम तट पर निवास करते हैं। कल्पवासी पूरे एक माह तक नियम, संयम और तपस्या के साथ जीवन बिताते हैं। वे प्रतिदिन स्नान, दान, जप-तप और सत्संग करते हैं।

इस मेले में साधु-संतों, अखाड़ों और विभिन्न धार्मिक संस्थाओं की उपस्थिति देखने को मिलती है। प्रवचन, भजन-कीर्तन, कथा और यज्ञ जैसे धार्मिक आयोजन माघ मेले की शोभा बढ़ाते हैं। साथ ही दान-पुण्य का भी विशेष महत्व होता है। श्रद्धालु अन्न, वस्त्र, धन और अन्य आवश्यक वस्तुएँ दान करते हैं।

माघ मेला केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ ग्रामीण और शहरी जीवन का अनूठा संगम देखने को मिलता है। हस्तशिल्प, स्थानीय व्यंजन और लोकसंस्कृति की झलक भी इस मेले में दिखाई देती है। प्रशासन द्वारा स्वच्छता, सुरक्षा और सुविधाओं की विशेष व्यवस्था की जाती है।

कुल मिलाकर, माघ मेला भारतीय परंपरा, आस्था और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यह मेला मानव जीवन में संयम, सेवा और आध्यात्मिकता के महत्व को दर्शाता है और लोगों को धर्म एवं सद्भाव के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

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