KANHA NATIONAL PARK

 कान्हा राष्ट्रीय उद्यान

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश के मंडला और बालाघाट ज़िलों में स्थित भारत के सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। यह उद्यान अपनी समृद्ध जैव विविधता, घने साल वनों और विस्तृत घास के मैदानों के लिए जाना जाता है। वर्ष 1955 में इसे राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया तथा बाद में इसे कान्हा टाइगर रिज़र्व के रूप में विकसित किया गया।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान विशेष रूप से बारहसिंगा (स्वैम्प डियर) के संरक्षण के लिए विश्वविख्यात है। कभी विलुप्ति के कगार पर पहुँची इस प्रजाति को कान्हा में सफल संरक्षण प्रयासों के माध्यम से पुनर्जीवित किया गया। इसके अतिरिक्त यहाँ बाघ, तेंदुआ, भालू, जंगली कुत्ता (धोल), सांभर, चीतल, नीलगाय और जंगली सूअर जैसे अनेक वन्यजीव पाए जाते हैं।

उद्यान का प्राकृतिक सौंदर्य अत्यंत आकर्षक है। यहाँ फैले हरे–भरे मैदान, बाँस के जंगल, साल वृक्षों की कतारें और छोटी–छोटी नदियाँ वातावरण को मनमोहक बनाती हैं। यही कारण है कि प्रसिद्ध लेखक रुडयार्ड किपलिंग के उपन्यास द जंगल बुक को प्रेरणा इसी क्षेत्र से मिली मानी जाती है।

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों के लिए जीप सफारी की सुविधा उपलब्ध है, जिसके माध्यम से वे वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में देख सकते हैं। उद्यान को विभिन्न ज़ोन में बाँटा गया है, जिससे पर्यटन और संरक्षण दोनों का संतुलन बना रहता है।

यह उद्यान न केवल पर्यटन का महत्वपूर्ण केंद्र है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण, अनुसंधान और पर्यावरण शिक्षा में भी अहम भूमिका निभाता है। प्राकृतिक प्रेमियों और वन्यजीवों में रुचि रखने वालों के लिए कान्हा राष्ट्रीय उद्यान एक आदर्श और अविस्मरणीय स्थल है।

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