NUAKHAI FESTIVAL

 नुआखाई पर्व (Nuakhai) 

नुआखाई ओडिशा और छत्तीसगढ़ के पश्चिमी क्षेत्रों में मनाया जाने वाला एक प्रमुख कृषि पर्व है। यह त्योहार मुख्यतः संबलपुर, बरगढ़, बलांगीर, कालाहांडी, सुंदरगढ़ तथा आसपास के अंचलों में अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। नुआखाई का शाब्दिक अर्थ है—“नई फसल का भोजन करना”। यह पर्व धान की नई फसल के आगमन पर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है।

नुआखाई भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी के बाद किसी शुभ तिथि को मनाया जाता है, जिसकी घोषणा पंचांग के अनुसार की जाती है। इस दिन सबसे पहले गांव के देवता और कुलदेवता को नई फसल का अर्पण किया जाता है, जिसे “नुआखाई भोग” कहा जाता है। इसके बाद परिवार के सदस्य एक साथ बैठकर नई फसल से बने चावल का सेवन करते हैं।

नुआखाई केवल कृषि उत्सव नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का भी पर्व है। इस अवसर पर लोग पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे से मेल-मिलाप करते हैं। बड़ों का आशीर्वाद लिया जाता है और छोटे उनका सम्मान करते हैं। इसे “नुआखाई भेटघाट” की परंपरा कहा जाता है।

इस पर्व पर लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों की साफ-सफाई करते हैं और विशेष व्यंजन बनाते हैं। पारंपरिक व्यंजनों में चावल, दाल, साग, मिठाइयाँ और स्थानीय पकवान शामिल होते हैं। लोकनृत्य और लोकगीत, विशेषकर संबलपुरी नृत्य और गीत, नुआखाई के उल्लास को और बढ़ा देते हैं।

आधुनिक समय में नुआखाई केवल गांवों तक सीमित नहीं रहा। महानगरों में रहने वाले ओडिया समुदाय भी इसे सामूहिक रूप से मनाते हैं। इस प्रकार नुआखाई पर्व कृषि, संस्कृति और सामाजिक सौहार्द का सुंदर संगम है, जो लोगों को अपनी जड़ों से जोड़े रखता है।

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