JARASANDH

 

जरासंध: एक महान योद्धा और शासक

प्राचीन भारत के महाभारत काल में कई महान योद्धा और शासक हुए, जिनमें से एक था मगध का राजा जरासंध। वह महाबली था, अत्यंत पराक्रमी और बुद्धिमान योद्धा था। उसकी शक्ति और शासन के कारण उसे समकालीन राजाओं के लिए एक बड़ा खतरा माना जाता था।

जरासंध का जन्म और बचपन

जरासंध का जन्म मगध के राजा बृहद्रथ के घर हुआ था। किंतु जन्म के समय उसका शरीर दो टुकड़ों में था, जिससे उसके माता-पिता बहुत चिंतित हो गए। तब एक राक्षसी जरा ने अपनी दिव्य शक्तियों से दोनों टुकड़ों को जोड़ दिया, जिससे उसका नाम जरासंध पड़ा। यह नाम ‘जरा’ नामक राक्षसी और ‘संघ’ (जुड़ने) शब्द से बना था।

शक्ति और पराक्रम

जरासंध अत्यंत बलशाली था और उसने अपनी शक्ति से कई राज्यों को जीतकर मगध को एक महाशक्ति बना दिया। उसने कई राजाओं को बंदी बनाया और यज्ञ के लिए बलि चढ़ाने की योजना बनाई। वह श्रीकृष्ण, बलराम और पांडवों का घोर शत्रु था।

श्रीकृष्ण से शत्रुता

जरासंध और श्रीकृष्ण के बीच घोर शत्रुता थी। जब श्रीकृष्ण ने कंस का वध किया, तो जरासंध ने इसे अपना अपमान समझा, क्योंकि कंस उसकी पुत्री अस्ति और प्राप्ति का पति था। इस अपमान का बदला लेने के लिए जरासंध ने कई बार मथुरा पर आक्रमण किया। किंतु श्रीकृष्ण और बलराम ने हर बार उसकी सेना को पराजित कर दिया। अंततः जब जरासंध मथुरा को बार-बार घेरने लगा, तो श्रीकृष्ण ने रणनीति बदलकर द्वारका नामक एक नया नगर बसाया और वहां चले गए, जिससे वह मथुरा की रक्षा कर सके।

जरासंध वध

युद्ध में जरासंध को पराजित करना कठिन था, क्योंकि उसकी शक्ति अद्वितीय थी। पांडवों ने राजसूय यज्ञ करने का निश्चय किया, लेकिन इसके लिए जरासंध को हराना आवश्यक था। तब श्रीकृष्ण, भीम और अर्जुन वेश बदलकर मगध पहुंचे और जरासंध को द्वंद्व युद्ध के लिए ललकारा।

जरासंध ने भीम से युद्ध किया, जो कई दिनों तक चला। अंततः श्रीकृष्ण के संकेत पर भीम ने जरासंध के शरीर के दोनों टुकड़े करके विपरीत दिशाओं में फेंक दिए, जिससे वह पुनः जुड़ नहीं सका और मारा गया।

जरासंध का महत्व

जरासंध केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि एक शक्तिशाली सम्राट भी था, जिसने कई राज्यों को एकजुट किया। उसकी मृत्यु के बाद मगध का शासन सहृदय राजा सहदेव को मिला, जो पांडवों का मित्र था।

जरासंध की कहानी हमें बताती है कि पराक्रम और शक्ति के साथ-साथ नीति और चातुर्य भी महत्वपूर्ण हैं। श्रीकृष्ण की रणनीति और भीम की वीरता के कारण ही इस महान योद्धा को पराजित किया जा सका। महाभारत में जरासंध का चरित्र वीरता, दृढ़ संकल्प और युद्ध कौशल का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है।

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