KALIYUG
कलियुग कलियुग हिंदू धर्म में वर्णित चार युगों — सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग — में अंतिम और वर्तमान युग है। यह युग अधर्म, असत्य, पाप, कलह और अज्ञान का युग माना जाता है। 'कलि' शब्द का अर्थ है 'कलह' या 'विवाद', और 'युग' का अर्थ है 'काल'। अतः कलियुग का अर्थ है विवाद और पाप का काल। कलियुग की अवधि और विशेषताएँ: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, कलियुग की कुल अवधि 4 लाख 32 हजार वर्ष मानी गई है। यह युग द्वापरयुग के समाप्त होने के बाद प्रारंभ हुआ, जब भगवान श्रीकृष्ण ने पृथ्वी का त्याग किया। कलियुग में धर्म के चार स्तंभों में से केवल एक (सत्य) ही किसी हद तक शेष बचा है, और वह भी धीरे-धीरे क्षीण होता जा रहा है। इस युग में मनुष्यों की आयु, बल, बुद्धि और नैतिकता अत्यंत घट चुकी है। समाज में अधर्म, लोभ, क्रोध, मोह, अहंकार, छल, कपट और अन्य बुराइयाँ व्यापक रूप से फैल चुकी हैं। कलियुग में समाज और जीवनशैली: कलियुग में समाज भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर अधिक आकर्षित हो गया है। धर्म और नैतिकता का पतन हो गया है। लोग अपने स्वार्थ के लिए धर्म का भी दुरुपयोग करते ...